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#day 6 मानव जीवन में सबसे बड़ा पुण्य दूसरों को सुख देना है – पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

#day 6 मानव जीवन में सबसे बड़ा पुण्य दूसरों को सुख देना है - पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

आज कथा में पधारे पूज्य सद्गुरदेव पुरूषोत्तम शरण शास्त्री जी ने व्यासपीठ का आशीर्वाद प्राप्त कर कथा पंडाल में उपस्तिथ सनातनियों को सनातन धर्म के प्रति जागरूक किया।

आज की कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने बताया कि भगवत दर्शन गुरु के बिना संभव नहीं है। जीवन में आध्यात्मिक उन्नति के लिए एक योग्य गुरु का मार्गदर्शन आवश्यक होता है। गुरु ही हमें सच्चे धर्म और ईश्वर के वास्तविक स्वरूप की पहचान कराते हैं। उनके बिना व्यक्ति सही दिशा में नहीं चल सकता और आत्मज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता।

मानव जीवन में सबसे बड़ा पुण्य दूसरों को सुख देना है। जो व्यक्ति अपने आसपास के लोगों को खुशी देता है, उनकी सहायता करता है और उनके दुखों को दूर करने का प्रयास करता है, वह सदा खुशहाल रहता है।

जो दूसरों को कष्ट देता है, उन्हें दुख पहुंचाता है, वह स्वयं हमेशा मानसिक तनाव और परेशानियों से घिरा रहता है। सच्ची खुशी और संतोष केवल परोपकार और सद्कर्मों में निहित है।

आजकल लोग मंदिरों में सिर्फ पूजा-अर्चना के लिए नहीं, बल्कि फोटो खिंचवाने और सोशल मीडिया पर दिखावा करने के लिए जाते हैं। भक्ति एक आंतरिक साधना है, लेकिन आज की पीढ़ी इसे ‘ट्रेंडिंग’ भक्ति बना चुकी है।

लोग धार्मिक स्थलों पर ध्यान और साधना के बजाय अपने गुरुओं और बाबाओं के साथ सेल्फी लेने और रील्स बनाने में अधिक रुचि दिखाते हैं। इससे आध्यात्मिकता की गहराई समाप्त होती जा रही है और धर्म केवल एक दिखावा बनकर रह गया है।

देश के मंदिरों में संचित धन का उपयोग राष्ट्र की उन्नति और जरूरतमंदों की सहायता में किया जाना चाहिए। यदि यह धन समाज की भलाई में लगेगा तो धर्म का वास्तविक उद्देश्य पूरा होगा।

जब भगवान किसी व्यक्ति की प्रार्थना नहीं सुनता या उसकी इच्छाएँ पूरी नहीं होतीं, तो आज का मानव भगवान को ही बदल लेता है। वह अपनी सुविधाओं के अनुसार ईश्वर की परिकल्पना करता है और अपनी मनोकामनाओं के अनुसार पूजा-पाठ करने लगता है। यह धार्मिकता की सच्ची भावना के विपरीत है।

धर्म का अर्थ है अहंकार और पाप को समाप्त करना। धर्म का मार्ग सरल नहीं होता, यह कठिन और संघर्षमय होता है, लेकिन जो इस मार्ग पर दृढ़ता से चलता है, वही भगवान की सच्ची प्राप्ति कर सकता है। सच्चा धर्म जीवन को शुद्ध करने और मानवता की सेवा करने में निहित है।

होली महोत्सव एवं श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन

दिनांक- 6 से 13 मार्च 2025

समय- दोपहर 2 बजे से

स्थान: ठा. श्रीप्रियाकान्त जू मन्दिर, शान्ति सेवा धाम, वृंदावन

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