#day7 “सभी सनातनी दृढ़ संकल्प लें कि सनातन धर्म के मार्ग पर चलकर जीवन जियेंगे और उसी में प्राण समर्पित करना अपना परम धर्म और गौरव मानेंगे – पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
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sonu
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#day7 "सभी सनातनी दृढ़ संकल्प लें कि सनातन धर्म के मार्ग पर चलकर जीवन जियेंगे और उसी में प्राण समर्पित करना अपना परम धर्म और गौरव मानेंगे - पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
आज की कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने कि सातवें दिन की भागवत कथा सुनने से पूरे सप्ताह की कथा का फल प्राप्त होता है। यह कथा जीवन को पवित्र और सन्मार्ग पर चलाने में सहायक होती है।
जिन लोगों के जीवन में भागवत कथा या धर्म का समावेश नहीं होता, उनके जीवन में कोई न कोई विघ्न अवश्य आता है। धर्म से दूरी व्यक्ति को मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक स्तर पर कमजोर बना देती है, इसलिए प्रत्येक सनातनी को धर्म का पालन करना चाहिए।
अपने धर्म में रहकर जीना और उसी में प्राण त्याग देना गौरव की बात है, यदि भूख-प्यास भी सहनी पड़े, तब भी धर्म का त्याग नहीं करना चाहिए।
आज के समय में धर्म परिवर्तन कराने वाले कई लोग कुचक्र रचकर भोले-भाले सनातनियों को भ्रमित करने का प्रयास करते हैं। उनका उद्देश्य केवल सनातन संस्कृति को कमजोर करना होता है। ऐसे लोगों का डटकर सामना करना आवश्यक है ताकि वे हमारे समाज और संस्कृति को नष्ट करने में सफल न हो सकें।
तंबाकू, शराब और अन्य नशे की लत मनुष्य के जीवन को धीरे-धीरे नष्ट कर देती है। नशा करने से सबसे पहले व्यक्ति की मानसिक शांति खत्म हो जाती है, जिससे उसका आत्म-सम्मान प्रभावित होता है। जब सम्मान घटने लगता है, तो समाज और परिवार में भी उसकी प्रतिष्ठा गिरती है।
यदि नशा करना ही है, तो भगवान की भक्ति का नशा करो। भक्ति का नशा वह नशा है, जो मनुष्य को सन्मार्ग पर ले जाता है, उसका आत्मबल बढ़ाता है और जीवन को सुखमय बनाता है। भगवान की भक्ति से मन को शांति मिलती है, परिवार में प्रेम बना रहता है और व्यक्ति का जीवन सच्चे आनंद से भर जाता है।
विवाह की सही आयु 20 से 25 वर्ष है, इससे दांपत्य जीवन सुखी हो और परिवार की नींव मजबूत होती है। प्रत्येक सनातनी परिवार में कम से कम चार संतानें होनी चाहिए, जिससे धर्म, समाज और राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इससे सनातन धर्म की परंपराएँ आगे बढ़ेंगी और परिवार सुदृढ़ रहेगा।
हम भगवान कृष्ण को मानते हैं लेकिन उनके उपदेशों का पालन नहीं करते। इसी प्रकार, हम भगवान राम को पूजते हैं लेकिन उनके बताए धर्म पथ पर नहीं चलते। हम रामायण और गीता को आदरपूर्वक पढ़ते हैं, लेकिन उनके सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास नहीं करते। यही कारण है कि आज समाज में नैतिक और धार्मिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है।
वही घर धन्य होता है, जहाँ धर्म का पालन किया जाता है। जहाँ परिवार के सभी सदस्य धर्मानुसार अपना जीवन जीते हैं, वहाँ सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। ऐसा परिवार उत्तम होता है और समाज के लिए आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करता है।
महाराज श्री ने शास्त्रों में वर्णित चार महापापों—बाल हत्या, ब्रह्म हत्या, स्त्री हत्या और गौ हत्या—के विषय में बताया। इन कृत्यों को घोर अधर्म माना गया है और इन्हें करने से व्यक्ति को पाप का भागी बनना पड़ता है।
सनातन धर्म केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक संपूर्ण जीवनशैली है। यदि हम धर्मग्रंथों के ज्ञान को अपने जीवन में अपनाएँ, तो निश्चित रूप से समाज में शांति, समृद्धि और धर्म की पुनर्स्थापना होगी।
भगवान स्वयं पृथ्वी पर धर्म की रक्षा के लिए अवतरित होते हैं। जब संसार में अधर्म और अन्याय बढ़ता है, तब भगवान अवतार लेकर धर्म की पुनर्स्थापना करते हैं।
आजकल यदि कोई बच्चा भजन-कीर्तन करने लगे, तो लोग ताने देते हैं कि क्या वह साधु बनना चाहता है? यह विचारधारा समाज में धर्म के प्रति आई उदासीनता को दर्शाती है।
श्रीमद्भागवत कथा भव्य आयोजन
दिनांक- 19 से 25 मार्च 2025
कथा स्थल : गाँव – कोपरिया पोस्ट – कोपरिया, जिला – सहरसा, बिहार