#day7 सबसे बड़ा धर्म है सत्य बोलना- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
#day7 सबसे बड़ा धर्म है सत्य बोलना- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
कथा में पूर्व विधायक श्री रविंद्र सिंह तोमर जी ने शामिल होकर व्यासपीठ का आशीर्वाद प्राप्त कर कथा श्रवण किया एवं कथा पंडाल में उपस्थित भक्तों को संबोधित किया ।
कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने बताया कि घर में टूटे हुए बर्तनों को रखना दरिद्रता का कारण बनता है। यह न केवल वास्तु दोष उत्पन्न करता है, बल्कि नकारात्मक ऊर्जा को भी आमंत्रित करता है। हमारे घर में जो भी वस्तुएँ टूटी-फूटी हों, उन्हें समय रहते हटा देना चाहिए ताकि सुख-समृद्धि का वास हो।
नवरात्रि के दौरान कन्याओं का पूजन करना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है क्योंकि प्रत्येक कन्या में देवी का ही अंश होता है। कन्या देवी का साक्षात रूप मानी जाती है, इसलिए उनके प्रति हमेशा पवित्र और सम्मानजनक भाव रखना चाहिए। किसी भी कन्या के लिए मन में कभी भी दूषित या नकारात्मक भावना नहीं लानी चाहिए। यह न केवल धर्म के विरुद्ध है बल्कि हमारे कर्मों पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ता है।
आज का युवा “मास्टरमाइंड आईपीएल” जैसे ऑनलाइन जुए और सट्टेबाज़ी में फँसता जा रहा है। यह न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाता है, बल्कि व्यक्ति की सोच, चरित्र और भविष्य को भी अंधकारमय बना देता है। यह लत युवाओं को धर्म, संस्कार और समाज से दूर कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर जितने लोग आज आईपीएल देखने और उस पर पैसा लगाने में व्यस्त हैं, उतने ही लोग धर्म की रक्षा के लिए आगे आ जाएँ, तो न केवल हिंदुस्तान, बल्कि पाकिस्तान में भी सनातन धर्म का ध्वज लहराएगा।
जहाँ सत्संग होता है, वहाँ नेगेटिव एनर्जी का वास नहीं होता। सत्संग अर्थात् “सत्” यानी सत्य और “संग” यानी संगति – अर्थात् सच्चाई, धर्म, और ईश्वर के साथ जुड़ना। जब घर में सत्संग होता है, भजन-कीर्तन गूंजते हैं, भगवान की महिमा का श्रवण और मनन होता है, तो वहाँ का वातावरण अपने आप ही पवित्र और सकारात्मक हो जाता है।
बच्चों के लिए सत्संग अमृत के समान है। जब वे बचपन से ही धार्मिक वातावरण में पलते हैं, तो उनमें संस्कार, संयम, सेवा और सत्य की भावना अपने आप विकसित होती है। ऐसे बच्चे नशे, बुरी संगति या कुसंस्कारों की ओर नहीं भटकते, बल्कि जीवन में आगे चलकर समाज और देश के लिए आदर्श बनते हैं।
सभी भक्तों को रामनवमी के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। श्रीराम का जीवन आदर्शों, सत्य और धर्म की प्रतिष्ठा का प्रतीक है।
जब-जब इस पृथ्वी पर अधर्म बढ़ता है, जब-जब पाप और अन्याय अपनी सीमाएँ लांघते हैं, तब-तब भगवान स्वयं अवतार लेकर धर्म की पुनर्स्थापना करते हैं और अधर्म का नाश करते हैं।
सबसे बड़ा धर्म है सत्य बोलना। सत्य ही धर्म का मूल है। जो व्यक्ति सच्चाई के मार्ग पर चलता है, वह कभी हारता नहीं। भले ही समय कठिन हो, परंतु अंततः सत्य की ही विजय होती है। इसलिए हमें सदैव सच बोलने का प्रयास करना चाहिए, चाहे परिस्थिति जैसी भी हो।
कभी भी आत्महत्या नहीं करनी चाहिए। जीवन ईश्वर का दिया हुआ अनमोल उपहार है। चाहे कितनी भी कठिनाई आए, उसका समाधान धर्म, विश्वास और सकारात्मक सोच में है, न कि पलायन में। आत्महत्या कायरता है, और इससे आत्मा को और अधिक कष्ट का सामना करना पड़ता है।
श्रीमद भागवत कथा का भव्य आयोजन
दिनांक- 31 मार्च से 06 अप्रैल 2025 तक
समय- दोपहर 12 बजे से सायं 4 बजे तक
स्थान: सागौरिया फार्म हाउस, मोदी कोल्ड के सामने, सेल्स टैक्स बैरियर, ए.बी रोड, मुरैना, मध्य प्रदेश