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#day6 हर सनातनी को भगवान श्रीराम के चरित्र को अपने जीवन में अपनाना चाहिए- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

#day6 हर सनातनी को भगवान श्रीराम के चरित्र को अपने जीवन में अपनाना चाहिए- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

कथा में मध्य प्रदेश विधान सभा अध्यक्ष श्री नरेंद्र सिंह तोमर जी ने शामिल होकर व्यासपीठ का आशीर्वाद प्राप्त कर कथा श्रवण किया एवं कथा पंडाल में उपस्थित भक्तों को संबोधित किया ।

कथा में मध्य प्रदेश सरकार में ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युमन सिंह तोमर जी ने शामिल होकर व्यासपीठ का आशीर्वाद प्राप्त कर कथा श्रवण किया एवं कथा पंडाल में उपस्थित भक्तों को संबोधित किया ।

कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने बताया कि इस आधुनिक युग में हम भगवान श्रीराम की रामनवमी को बड़ी धूमधाम और उल्लास के साथ तो मनाते हैं, परंतु यह भी विचार करना चाहिए कि हम इस पर्व से सीखते क्या हैं? श्रीराम केवल रावण का वध करने नहीं आए थे, बल्कि वे मानवता, मर्यादा और धर्म का पाठ पढ़ाने इस धरती पर अवतरित हुए थे।

भगवान श्रीराम का जीवन एक आदर्श है – उन्होंने कभी अपने माता-पिता के विरुद्ध कोई कार्य नहीं किया, कभी धर्म और सदाचार के रास्ते से नहीं डिगे, अपने गुरुजनों की आज्ञा का पालन किया और समाज के हित में ही अपने सभी कार्य किए। वे एक ऐसे भाई बने जिन्होंने अपने छोटे भाई के लिए बिना किसी हिचकिचाहट के राज-पाठ त्याग दिया। और जब पति बने, तो जीवन भर माता सीता के प्रति निष्ठावान रहे – किसी अन्य स्त्री की ओर दृष्टि तक नहीं डाली।


पूज्य महाराज श्री ने कहा कि प्रत्येक पुरुष को भगवान श्रीराम के चरित्र को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करना चाहिए – उनके जैसे संयम, त्याग, और मर्यादा का पालन करना चाहिए। और स्त्रियों को माता सीता के चरित्र से प्रेरणा लेकर जीवन में धैर्य, समर्पण और सादगी को अपनाना चाहिए। यही सनातन धर्म का मूल संदेश है।


जब वक्फ बोर्ड संशोधन बिल संसद मे पेश हुआ तो उस पर संसद में 232 सांसदों ने विरोध में समर्थन दिया, और उनमें से 195 सांसद हिंदू थे। यह हमारे समाज के लिए आत्ममंथन का विषय है कि जिन लोगों को हमने चुना, वे धर्म की रक्षा की बजाय राजनीति और तुष्टिकरण की राह पर चल पड़े।

6 अप्रैल को रामनवमी के पावन अवसर पर एक भव्य “सनातन यात्रा” का आयोजन किया जाएगा। यह यात्रा धर्म, संस्कृति और रामजी के आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाने का माध्यम बनेगी।

पूज्य महाराज श्री ने पर्यावरण की चिंता करते हुए कहा कि आज हम लगातार पेड़ काटते जा रहे हैं, जिसका सीधा असर हमारे जलस्रोतों पर पड़ रहा है। जब पेड़ नहीं रहेंगे, तो वर्षा नहीं होगी, और जल स्तर नीचे चला जाएगा। इसी कारणवश प्राकृतिक असंतुलन बढ़ता जा रहा है।

हर व्यक्ति को जीवन में पेड़ अवश्य लगाने चाहिए, जिससे न केवल वातावरण शुद्ध और संतुलित बना रहेगा, बल्कि पशु-पक्षी भी सुरक्षित रहेंगे और प्रकृति की सुंदरता बनी रहेगी।

आज सोशल मीडिया – फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर – पर धर्म की रक्षा के नाम पर बोलने वाले तो बहुत मिल जाते हैं, पोस्ट, वीडियो और टिप्पणियाँ करने वाले असंख्य हैं, लेकिन जो वास्तव में धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दें, ऐसा त्याग और बलिदान आज दुर्लभ होता जा रहा है।

पश्चिम बंगाल में सनातन यात्रा को रोका जाता है, और यह अत्यंत दुखद है कि राज्य की मुख्यमंत्री स्वयं हिंदू हैं, फिर भी वह अपने ही धर्म के लोगों की रक्षा नहीं कर पा रही हैं। यह स्थिति केवल बंगाल की नहीं, पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि अगर सनातन धर्म को नहीं जगाया गया, तो वह दिन दूर नहीं जब हमारे त्यौहार, यात्राएँ, परंपराएँ सब धीरे-धीरे प्रतिबंधित कर दी जाएँगी।

जितनी ज़मीन पाकिस्तान के पास है, उतनी ही भारत में वक्फ बोर्ड के पास है, जो कि एक बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है – कि बहुसंख्यक होते हुए भी हिंदू आज अपनी ही भूमि पर असुरक्षित क्यों महसूस कर रहा है?

कथा में भगवान श्रीकृष्ण और माता रुक्मिणी के विवाह उत्सव को अत्यंत श्रद्धा, भक्ति और धूमधाम के साथ मनाया गया। यह विवाह केवल एक दिव्य मिलन नहीं था, बल्कि प्रेम, साहस, धर्म और संकल्प का प्रतीक था। पूज्य महाराज श्री ने यह भी कहा कि रुक्मिणी विवाह से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्चा प्रेम वह है जो धर्म के मार्ग पर हो, जिसमें संकल्प हो, और जिसमें ईश्वर का आशीर्वाद हो।

हमारे जीवन में दुःखों का मूल कारण यह है कि हमारा भगवान पर पूर्ण विश्वास नहीं है। जब तक मनुष्य अपने ईश्वर पर, अपने आराध्य पर सच्ची श्रद्धा और विश्वास नहीं रखेगा, तब तक उसका आत्मिक और सामाजिक कल्याण संभव नहीं है।

अगर आज हर सनातनी अपने धर्म का पूरी निष्ठा से पालन करता, तो हमारी गौ माता सड़क पर बेसहारा न होती। जैसे जब संतानें माता-पिता की सेवा नहीं करतीं, तो वृद्ध माता-पिता को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं, वैसे ही जब हम अपनी गौ माता की सेवा नहीं करते, तो वह भी तिरस्कार और उपेक्षा की शिकार होती हैं।

प्रत्येक सनातनी को प्रतिमाह ₹202 अलग से निकालना चाहिए – ₹101 गौ सेवा के लिए, ताकि गौ माता को संरक्षण मिले, और जिस घर से यह राशि गौ सेवा में जाती है, उस घर में कभी दरिद्रता नहीं आती। बाकी ₹101 सनातन धर्म की रक्षा और प्रचार-प्रसार के लिए निकाले जाने चाहिए, ताकि धर्म की रक्षा के लिए चल रही लड़ाई को सशक्त बनाया जा सके।

भगवान कृष्ण ने इंद्र का घमंड तोड़ा, यह हमें सिखाता है कि कोई भी सत्ता जब अहंकार में चूर होती है, तो ईश्वर उसे धूल चटाता है।

“धर्मो रक्षितः रक्षिता:” अर्थात जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। यदि धर्म की रक्षा के लिए हमें सड़कों पर उतरना पड़े, तो हमें पीछे नहीं हटना चाहिए। यह समय है जागने का, संगठित होने का और अपने धर्म, संस्कृति और परंपराओं की रक्षा के लिए तन-मन-धन से समर्पित होने का।

श्रीमद भागवत कथा का भव्य आयोजन

दिनांक- 31 मार्च से 06 अप्रैल 2025 तक

समय- दोपहर 12 बजे से सायं 4 बजे तक

स्थान: सागौरिया फार्म हाउस, मोदी कोल्ड के सामने, सेल्स टैक्स बैरियर, ए.बी रोड, मुरैना, मध्य प्रदेश

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