NEWS

#DAY6 कोरोना ने हमें दूर किया महाकुंभ ने एकजुट किया- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

#DAY6 कोरोना ने हमें दूर किया महाकुंभ ने एकजुट किया- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

आज की कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने बताया कि श्रीकृष्ण बचपन से ही गायों के प्रति विशेष प्रेम रखते थे और उन्होंने गोपालक के रूप में गौसेवा कर एक महत्वपूर्ण संदेश दिया। आजादी के बाद भी भारत में गौहत्या को रोकने के प्रयास जारी हैं, लेकिन फिर भी गायों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। संत-महात्मा निरंतर इस दिशा में प्रयासरत हैं, परंतु समाज को भी इस विषय पर गहरी जागरूकता अपनानी होगी।

हमने सनातन संस्कृति में गौमाता, गंगा और भारतभूमि को माता का दर्जा दिया है, लेकिन विडंबना यह है कि जिनकी हम वंदना करते हैं, उनकी दुर्दशा के प्रति हम उदासीन बने हुए हैं। गायों को माता मानने के बावजूद वे आज सड़क पर भूखी-प्यासी भटक रही हैं, गंगा को मां कहने के बावजूद उसमें शहरों की गंदगी और कारखानों का अपशिष्ट प्रवाहित किया जा रहा है, और भारत माता को मां कहने के बावजूद उसकी पवित्रता को नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

गंगा नदी की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। लोग उसमें बर्तन और कपड़े धोते हैं, नगरों और महानगरों के नालों का दूषित जल उसमें प्रवाहित होता है, जिससे उसका जल प्रदूषित हो रहा है।

प्रत्येक नगर के महापौर और प्रशासन यह ठान लें कि शहर के नालों का पानी गंगा, यमुना, नर्मदा और अन्य नदियों में नहीं जाएगा, तो एक वर्ष के भीतर ही हमारी नदियां स्वच्छ हो सकती हैं। यदि नदियां स्वच्छ होंगी, तो शहरों के निवासियों का जीवन स्तर भी सुधरेगा, और उन्हें शुद्ध जल पीने को मिलेगा। आज अनेक रोग, विशेषकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां, दूषित जल के कारण उत्पन्न हो रही हैं।

भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गिरिराज पर्वत उठा लिया और सभी गोकुलवासियों को उसके नीचे आश्रय दिया। सात दिन तक लगातार वर्षा होती रही, लेकिन श्रीकृष्ण अचल भाव से पर्वत उठाए खड़े रहे। अंततः इंद्र को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने श्रीकृष्ण के चरणों में आकर क्षमा मांगी। इस प्रकार भगवान ने इंद्र के अहंकार का नाश किया

कथा में श्रीकृष्ण और रुक्मिणी विवाह धूमधाम से मनाया गया। भक्तगण पूज्य महाराज श्री के संग भक्ति में झूम उठे, चारों ओर भक्तिमय माहौल छा गया।

इस संसार में हमें केवल एक ही अंधविश्वास रखना चाहिए—भगवान श्रीकृष्ण में अटूट श्रद्धा। वे ही हमें सच्चे धर्म, सेवा और परोपकार का मार्ग दिखाते हैं। बाकी किसी अन्य अंधविश्वास में पड़ने की आवश्यकता नहीं है।

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि मनुष्य चाहे कितना भी इधर-उधर भटके, कितनी भी समस्याओं में उलझा रहे, लेकिन उसका असली कल्याण केवल भगवद् शरण में आने से ही संभव है। भागवत कथा, भक्ति और सत्संग के माध्यम से मनुष्य का उद्धार हो सकता है, क्योंकि यही वह स्थान है जहां भगवान की कृपा बरसती है और आत्मा को शांति प्राप्त होती है।

जिस पीड़ा को दुनिया के सारे डॉक्टर और औषधियां नहीं मिटा सकतीं, उसे भगवान श्रीकृष्ण मात्र अपनी कृपा दृष्टि से समाप्त कर सकते हैं। उनके नाम का स्मरण, उनकी भक्ति और उनकी शरण में जाना ही वास्तविक समाधान है।

पिछले कुछ वर्षों में हमने दो परस्पर विरोधी घटनाएं देखीं—एक थी कोविड-19 महामारी, जिसने मनुष्यों को एक-दूसरे से दूर कर दिया। वहीं दूसरी महाकुंभ, जिसने लोगों को फिर से जोड़ दिया, आस्था को पुनर्जीवित कर दिया और सड़कों पर आस्था की भीड़ उमड़ पड़ी। ये दोनों घटनाएं हमें यह सिखाती हैं कि दुनिया में विपरीत परिस्थितियां आती-जाती रहती हैं, लेकिन आस्था और भक्ति ही हमें जोड़ती हैं।

यह संसार केवल स्वार्थ का साथी है। इसलिए श्रीकृष्ण कहते हैं कि इस नश्वर संसार में किसी पर पूर्ण निर्भर मत रहो, क्योंकि सच्चा साथी केवल वह है जो हर जन्म में, हर परिस्थिति में तुम्हारे साथ हो, और वह केवल भगवान श्रीकृष्ण ही हैं।

अभिमान वह जड़ है, जो व्यक्ति को अहंकार, मोह और भटकाव की ओर ले जाती है। जो भी व्यक्ति अपने बल, ज्ञान, धन, सौंदर्य या पद का अभिमान करता है, भगवान उसकी चीज को छीन लेते हैं।

जो व्यक्ति अपने ज्ञान, धन, शक्ति या रूप का अभिमान नहीं करता, बल्कि उसे भगवान की देन मानकर दूसरों की सेवा करता है, वही वास्तविक रूप से ईश्वर के प्रिय बनता है।

विनम्रता ही मनुष्य का सबसे बड़ा आभूषण है। जब व्यक्ति अपने अहंकार को त्यागकर भगवान के समक्ष समर्पित होता है, तो वह परम शांति को प्राप्त करता है।

श्रीमद् भागवत कथा भव्य आयोजन

दिनांक- 19 से 25 मार्च 2025

कथा स्थल : गाँव – कोपरिया पोस्ट – कोपरिया, जिला – सहरसा, बिहार

Leave A Comment

Your Comment
All comments are held for moderation.