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#day3 सभी राजनीतिक दल राष्ट्रहित के लिए वक्फ संशोधन बिल का करें समर्थन- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

#day3 सभी राजनीतिक दल राष्ट्रहित के लिए वक्फ संशोधन बिल का करें समर्थन- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

आज की कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने बताया कि आज वक्फ संशोधन बिल पर संसद में चर्चा हो रही है। अब तक वक्फ बोर्ड के मामलों में यदि किसी की संपत्ति वक्फ बोर्ड के अधीन आ जाती थी, तो उसे केवल वक्फ ट्रिब्यूनल (वक्फ बोर्ड के अधीन न्यायिक निकाय) में ही अपनी याचिका दायर करनी पड़ती थी। इस प्रक्रिया में व्यक्ति के पास सीमित विकल्प होते थे और उसे हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाने की अनुमति नहीं थी। लेकिन नए संशोधन के अनुसार, अब कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति संबंधी विवादों को उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दे सकता है।

पूज्य महाराज श्री ने बताया कि स्वतंत्रता के बाद से अब तक वक्फ बोर्ड के पास लगभग 9 लाख एकड़ भूमि एकत्रित हो चुकी है। यह एक बहुत बड़ी संख्या है, और इसकी समीक्षा व पारदर्शिता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अक्सर वक्फ बोर्ड के समर्थन में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता खुलकर सामने आते हैं, लेकिन जब सनातन धर्म या हिंदू धर्म से जुड़े मुद्दों की बात आती है, तो कोई भी नेता खुलकर समर्थन नहीं करता।

पूज्य महाराज श्री ने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से अपील की कि वे अपने व्यक्तिगत और जातिगत हितों से ऊपर उठकर इस बिल का समर्थन करें। उन्होंने कहा कि यह बदलाव न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और सभी नागरिकों को समान अधिकार देने के लिए आवश्यक है। इस प्रकार का सुधार न केवल पारदर्शिता बढ़ाएगा, बल्कि संपत्ति विवादों में न्याय की पहुंच को भी सरल बनाएगा।

सनातन धर्म और उसकी परंपराओं की रक्षा एवं संवर्धन के लिए ‘सनातन बोर्ड’ का गठन आवश्यक है। यह बोर्ड सनातन संस्कृति, मंदिरों, धार्मिक स्थलों और परंपराओं के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है।


धर्मो रक्षितः रक्षितः – अर्थात् जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म भी उसकी रक्षा करता है। यह सनातन सत्य है, जिसे प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन का मूल मंत्र बनाना चाहिए। हमारे शास्त्रों और महापुरुषों ने हमेशा यह सिखाया है कि धर्म की रक्षा करना ही परम कर्तव्य है, क्योंकि जब धर्म सुरक्षित रहेगा, तभी समाज और राष्ट्र सुरक्षित रहेगा।

हर सनातनी माता-पिता को अपने बच्चों को केवल शिक्षित ही नहीं, बल्कि धर्मात्मा भी बनाना चाहिए। यदि हम चाहते हैं कि हमारी आने वाली पीढ़ियां अपने धर्म, संस्कृति और मूल्यों को समझें और उनका पालन करें, तो हमें उन्हें वेद, उपनिषद, श्रीमद्भागवत गीता, रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों का अध्ययन कराना चाहिए।

हमारे मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए। यह एक गंभीर विषय है कि हिंदू मंदिरों की संपत्तियों और उनके प्रशासन पर सरकारी नियंत्रण क्यों होना चाहिए, जबकि अन्य धर्मों के धार्मिक स्थलों को पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त है? यदि मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया जाए, तो इनका उपयोग धर्म और समाज कल्याण के लिए अधिक प्रभावी रूप से किया जा सकता है।

जब तक जीवन है, तब तक ऐसा कार्य करें जिससे स्वयं का और सभी का कल्याण हो। सेवा, परोपकार, धर्म और सत्य के मार्ग पर चलकर ही हम अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं। जीवन का असली उद्देश्य केवल सांसारिक सुख-सुविधाओं तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि यह देखना चाहिए कि हमारे कार्यों से कितने लोगों का भला हो रहा है।

श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिए, विशेष रूप से मरणशील व्यक्ति को। यह व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त करने का मार्ग दिखाता है और मोक्ष प्राप्ति का सरलतम साधन है। श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण व्यक्ति को सांसारिक मोह से मुक्त करता है और उसे ईश्वर के निकट ले जाता है।


श्रीमद भागवत कथा का भव्य आयोजन

दिनांक- 31 मार्च से 06 अप्रैल 2025 तक

समय- दोपहर 12 बजे से सायं 4 बजे तक

स्थान: सागौरिया फार्म हाउस, मोदी कोल्ड के सामने, सेल्स टैक्स बैरियर, ए.बी रोड, मुरैना, मध्य प्रदेश

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