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#day2 नवरात्रि में सनातनियों की दुकान से खरीदें पूजा का सामान- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

#day2 नवरात्रि में सनातनियों की दुकान से खरीदें पूजा का सामान- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

आज की कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने बताया कि सनातन धर्म के तीज-त्योहारों एवं पर्वों में मानव कल्याण की भावना निहित होती है। प्रत्येक पर्व न केवल आध्यात्मिक शुद्धता प्रदान करता है, बल्कि प्रकृति, शरीर और मन को भी संतुलित करता है।

नवरात्रि जैसे पावन अवसरों पर यदि कोई व्यक्ति व्रत करता है, तो उसे सहज रूप से मानसिक और शारीरिक लाभ प्राप्त होते हैं। व्रत करने से शरीर की आंतरिक शुद्धि होती है, आत्मसंयम की भावना विकसित होती है, और मन एकाग्र होता है।

नवरात्रि सनातन धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ पर्व है, जिसे देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना के रूप में मनाया जाता है। हम अपने त्योहारों की आवश्यक वस्तुएं केवल सनातनी दुकानों से ही खरीदें। इससे न केवल हमारे धार्मिक अनुष्ठान की शुद्धता बनी रहती है, बल्कि सनातन धर्म को मानने वाले छोटे व्यापारियों और कारीगरों को भी सहयोग मिलता है।

आज के समय में कई बाजारों में ऐसे व्यापारी मौजूद हैं, जो हमारी धार्मिक भावनाओं से लाभ उठाने का प्रयास करते हैं, लेकिन उनके मन में सनातन परंपराओं के प्रति सम्मान नहीं होता। ऐसे में हमें सचेत रहने की आवश्यकता है और अपनी धनराशि ऐसे व्यवसायों में लगानी चाहिए जो वास्तव में हमारी संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करते हैं।

यूपी सरकार ने एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किया है, जिसके अनुसार महिलाओं के कपड़ों का नाप केवल महिला टेलर ही ले सकेगी। यह निर्णय महिलाओं की गरिमा और उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। इस प्रकार के कदम समाज में महिलाओं के प्रति सुरक्षा की भावना को और अधिक मजबूत करेंगे।


सनातनियों को अपने वास्तविक नव वर्ष को पहचानना और इसे अगली पीढ़ी तक पहुँचाना आवश्यक है। सनातन नव वर्ष केवल एक कैलेंडर की तिथि बदलने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह प्रकृति और मानव जीवन में एक नये चरण की शुरुआत का प्रतीक है।

जब पश्चिमी संस्कृति का नव वर्ष आता है, तो समाज में विभिन्न प्रकार की विकृतियाँ देखने को मिलती हैं। इस समय शराब की बिक्री सर्वाधिक होती है, अनैतिक गतिविधियाँ बढ़ जाती हैं, और नशे में धुत लोग अपनी चेतना खो देते हैं। पश्चिमी नव वर्ष मात्र मनोरंजन और उच्छृंखल जीवनशैली को प्रोत्साहित करता है, जबकि सनातन नव वर्ष शुद्धता, संयम और आध्यात्मिकता का संदेश देता है।

सनातन नव वर्ष के आगमन पर समाज में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। इस समय सबसे अधिक फल और शुद्ध आहार की खपत बढ़ जाती है। यह पर्व हमें शाकाहारी जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करता है, हमें नशा मुक्त बनाता है, और व्रत एवं उपवास जैसी शुद्ध आत्मिक क्रियाओं के लिए प्रेरित करता है।

दुर्भाग्यवश, आधुनिकता की दौड़ में हम अपने ही नव वर्ष से विमुख होते जा रहे हैं, और हमारे ही बच्चे इसके महत्व से अनभिज्ञ होते जा रहे हैं। यह सचमुच दुर्भाग्य की बात है कि जिस नव वर्ष में प्रकृति और मानव जीवन में शुद्धता आती है, उसी से हमारी वर्तमान पीढ़ी दूर होती जा रही है।

धन और संपत्ति तो समय के साथ लौट सकते हैं, लेकिन किसी की इज्जत एक बार चली जाए, तो वह कभी वापस नहीं आती। इसलिए, हमें विशेष रूप से माता-बहनों के सम्मान और सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए।

सनातन धर्म में नारी को देवी का स्वरूप माना गया है। जब किसी समाज में स्त्रियों का सम्मान सुरक्षित रहता है, तभी वह समाज उन्नति करता है। सनातनी परिवारों को अपनी बेटियों के कपड़े सिलवाने के लिए ऐसे लोगों का चयन करना चाहिए जो उनकी संस्कृति और सम्मान का आदर करते हों।

भगवान श्रीकृष्ण ने भी गीता में कहा है कि मानव उनके लिए सबसे प्रिय है, और वह अपनी भक्ति से भगवान को प्राप्त कर सकता है। भक्ति केवल मंदिरों और उपवास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह तब भी प्रकट होती है जब हम अपने समाज में प्रेम, सहयोग और सम्मान की भावना को बनाए रखते हैं।

सबसे बड़ा सुख दूसरों को सुख देने में ही निहित है। जब हम अपने समाज के हर व्यक्ति को आदर देंगे, उनके सुख-दुख का ध्यान रखेंगे, और अपने धर्म व संस्कृति की रक्षा करेंगे, तभी हम सच्चे अर्थों में सनातनी कहलाने योग्य होंगे। यही हमारे जीवन का परम उद्देश्य होना चाहिए।

श्रीमद भागवत कथा का भव्य आयोजन

दिनांक- 31 मार्च से 06 अप्रैल 2025 तक

समय- दोपहर 12 बजे से सायं 4 बजे तक
स्थान: सागौरिया फार्म हाउस, मोदी कोल्ड के सामने, सेल्स टैक्स बैरियर, ए.बी रोड, मुरैना, मध्य प्रदेश

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