#day1 अपने जीवन में देश और धर्म की सेवा जरूर करें – पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
-
by
sonu
- No Comments on #day1 अपने जीवन में देश और धर्म की सेवा जरूर करें – पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
#day1 अपने जीवन में देश और धर्म की सेवा जरूर करें - पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
आज की कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने बताया कि जब अनंत पुण्य का उदय होता है, तब हमें श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करने का अवसर प्राप्त होता है। यह अवसर स्वयं भगवान की कृपा से मिलता है, क्योंकि जब व्यक्ति का मन और हृदय शुद्ध होते हैं, तभी वह आध्यात्मिकता और धर्म की ओर आकर्षित होता है।
आज सनातनी अपने धर्म और संस्कृति पर होने वाले आघातों को देखकर भी मौन रहते हैं। वे यह नहीं समझते कि यदि हम अपने धर्म, संस्कृति और देश की रक्षा के लिए आवाज़ नहीं उठाएंगे, तो आने वाली पीढ़ियाँ इसका गंभीर परिणाम भुगतेंगी। जो लोग अन्याय और अधर्म को देखकर भी चुप रहते हैं, वे धीरे-धीरे अपनी पहचान और मूल्यों को खो देते हैं।
सत्संग का सीधा अर्थ है “सत्” अर्थात सच्चे और शुभ विचारों का संग करना। जब हम संतों, महापुरुषों और धर्मग्रंथों की बातों को सुनते हैं, तो हमारा विवेक जागृत होता है। सत्संग करने से व्यक्ति की बुद्धि शुद्ध होती है और वह अपने जीवन में धर्म के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित होता है।
आज युवा अपना कीमती समय आध्यात्मिक गतिविधियों, सत्संग, और परिवार के साथ बिताने के बजाय मोबाइल और सोशल मीडिया पर व्यर्थ कर रहे हैं। युवाओं को चाहिए कि वे मोबाइल और आभासी दुनिया की लत को छोड़कर अपने परिवार, समाज और देश के प्रति उत्तरदायी बनें। यदि वे अपने वास्तविक कर्तव्यों को समझेंगे और सही दिशा में आगे बढ़ेंगे, तो निश्चित रूप से एक सशक्त समाज और राष्ट्र का निर्माण होगा।
व्यक्ति केवल विपत्ति के समय ही भगवान को याद करता है। जब सुख के दिन होते हैं, तब उसे भगवान का स्मरण नहीं रहता, लेकिन जैसे ही कोई कठिनाई आती है, वह ईश्वर के शरण में आ जाता है। यह प्रवृत्ति उचित नहीं है। हमें हर परिस्थिति में भगवान की भक्ति करनी चाहिए और अपने जीवन को धर्ममय बनाना चाहिए। क्योंकि जो व्यक्ति निरंतर ईश्वर का स्मरण करता है, उसका जीवन सदैव शांत और आनंदमय रहता है।
हमें अपने बच्चों को धार्मिक शिक्षा अवश्य देनी चाहिए। यदि वे अपने धर्म और संस्कृति के बारे में नहीं जानेंगे, तो वे न केवल अपने नैतिक मूल्यों से दूर हो जाएंगे, बल्कि समाज में भी सही मार्गदर्शन देने में असमर्थ रहेंगे। इसलिए, यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपने बच्चों को धर्म, नैतिकता और भारतीय संस्कृति के मूल्यों से अवगत कराएं, जिससे वे भविष्य में धर्म की रक्षा कर सकें और एक सशक्त समाज की स्थापना कर सकें।
जब कोई व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति भाव से भागवत कथा सुनता है, तो उसके जीवन के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग मिल जाता है। श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि जो भी व्यक्ति सच्चे हृदय से इस कथा का श्रवण करता है, वह अपने समस्त कष्टों से मुक्त होकर ईश्वर का प्रिय बन जाता है।
“धर्मो रक्षति रक्षितः” अर्थात जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। यही कारण है कि हमें रामायण, श्रीमद्भगवद्गीता, महाभारत जैसे धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन अवश्य करना चाहिए। ये ग्रंथ केवल पौराणिक कथाओं का संकलन नहीं हैं, बल्कि ये जीवन जीने की सही दिशा भी दिखाते हैं।
कलयुग में मनुष्य का झुकाव पुण्य से अधिक पाप की ओर होता जा रहा है। लोगों को धर्म, सत्य और नैतिकता में रुचि कम हो रही है, जबकि लोभ, अहंकार, क्रोध और अधर्म की ओर उनका मन अधिक आकर्षित हो रहा है। इसका प्रमुख कारण यह है कि लोग अपने जीवन में सत्संग और धार्मिक शिक्षा से दूर हो गए हैं। जब व्यक्ति सत्संग नहीं करता, तो उसका विवेक क्षीण हो जाता है और वह सही-गलत का निर्णय नहीं कर पाता।
श्री मदभागवत कथा भव्य आयोजन
दिनांक- 19 से 25 मार्च 2025
कथा स्थल : गाँव – कोपरिया पोस्ट – कोपरिया, जिला – सहरसा, बिहार