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#day1 ब्रज को तीर्थ रहने दो, इसे पर्यटक स्थल मत बनाओ- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

#day1 ब्रज को तीर्थ रहने दो, इसे पर्यटक स्थल मत बनाओ- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

आज कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने भक्तों को बताया कि मनुष्य का वास्तविक कल्याण उसके सत्कर्मों और धर्म में ही छिपा है। इस संसार में चाहे कितना भी धन-संपत्ति, मान-सम्मान, यश, प्रतिष्ठा या रिश्तेदार क्यों न हों, अंत समय में कुछ भी साथ नहीं जाता, केवल हमारे अच्छे कर्म और धर्म ही साथ जाते हैं।
अपने कल्याण की चिंता हमें स्वयं करनी चाहिए। उन्होंने समझाया कि भगवान हर जगह विद्यमान हैं, लेकिन उन्हें देखने के लिए प्रेम और ज्ञान की आंखें चाहिए। बिना भक्ति और विवेक के हम भगवान के वास्तविक स्वरूप का दर्शन नहीं कर सकते।

आज कोई एक्सीडेंट होता है तो लोग मदद करने की बजाय वीडियो बनाने लगते हैं। उन्होंने बताया कि यदि कोई व्यक्ति घायल को अस्पताल पहुंचाता है तो पुलिस उसकी मर्जी के बिना उसे परेशान नहीं कर सकती, इसलिए निसंकोच किसी की जान बचाना हमारा कर्तव्य है।

आज के समय में लोग कथावाचकों से उनकी जाति पूछते हैं, फीस पूछते हैं, लेकिन उनके द्वारा किए जाने वाले धार्मिक कार्यों, तपस्या, साधना और सनातन धर्म प्रचार के प्रयासों का आदर नहीं करते। लोग व्यासपीठ पर बैठकर भी केवल गाने गा रहे हैं और कथा के वास्तविक उद्देश्य को भूलते जा रहे हैं।

ब्रजधाम की पवित्रता बनाए रखना हमारा कर्तव्य है। ब्रज को तीर्थ रहने दो, इसे केवल पर्यटक स्थल मत बनाओ। यहां की रज में भगवान श्रीकृष्ण के चरणों की छाप है, इसे नशे और भोग-विलास का केंद्र न बनने दो।

ब्रजधाम में शराब और मांस का पूरी तरह से प्रतिबंध लगना चाहिए। यह स्थान भक्ति, प्रेम, सेवा और साधना का धाम है, न कि तामसिक प्रवृत्तियों का केंद्र।
वंशीवट की जड़ों में स्वयं ठाकुर जी का वास होता है। श्रीमद्भागवत का प्राकट्य केवल कथा कहने के लिए नहीं हुआ, बल्कि जनकल्याण के लिए, और विशेष रूप से कलयुग के लोगों के उद्धार के लिए हुआ था। कलयुग में जब धर्म क्षीण हो जाता है, तब भागवत कथा ही जीवों के कल्याण का सबसे श्रेष्ठ मार्ग बनती है।

बच्चों की शादी हमेशा दिन में करनी चाहिए क्योंकि रात्रि का समय असुरों का माना जाता है। इसके अलावा, अपने बच्चों की शादी में कभी भी मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह घोर पाप माना गया है। विवाह एक पवित्र संस्कार है, उसमें तामसिक भोजन और नशे का प्रयोग देवी-देवताओं का अपमान है और इससे वैवाहिक जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।


श्रीमद भागवत कथा का भव्य आयोजन

दिनांक – 02 से 08 जुलाई 2025

कथा समय: दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक

कथा स्थल: सिद्ध पीठ वंशीवट महारास स्थल एवं नित्य गोचारण लीला स्थल श्री दामा जी मन्दिर, ग्राम छाहरी, मांट (मथुरा)

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