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#DAY 2 हम हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से निवेदन करते हैं कि पूरे देश में शराब को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया जाए – पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

#DAY 2 हम हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से निवेदन करते हैं कि पूरे देश में शराब को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया जाए - पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

आज की कथा में पूज्य महाराज श्री ने बताया कि जब तक हमारे बच्चे धर्म और शास्त्रों का अध्ययन नहीं करेंगे, तब तक वे अपने माता-पिता की सेवा करने में असमर्थ रहेंगे और स्वयं अपने जीवन को सही दिशा में नहीं ले जा पाएंगे। धर्म और शास्त्रों का ज्ञान न केवल व्यक्ति को नैतिकता की शिक्षा देता है बल्कि उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने की प्रेरणा भी देता है।

हम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से आग्रह करते हैं कि पूरे देश में शराब को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया जाए। शराब समाज में अनेक बुराइयों की जड़ है और इसके सेवन से परिवारिक कलह, अपराध, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ और नैतिक पतन बढ़ता है। यदि इसे पूरे देश में लागू किया जाए, तो समाज में शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि बढ़ सकती है। हमें शराब जैसी सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाएँ और एक स्वस्थ, सुखद और संस्कारयुक्त समाज की स्थापना करें।


आज बॉलीवुड और आधुनिक मनोरंजन जगत की चकाचौंध में, हमारे बच्चे अपने मूल संस्कारों और धार्मिक परंपराओं से दूर होते जा रहे हैं। इससे न केवल उनकी नैतिकता पर प्रभाव पड़ रहा है, बल्कि वे अपने कर्तव्यों को भी भूलते जा रहे हैं।

मुस्लिम लोग अपने बच्चों को प्रारंभिक अवस्था से ही कुरान की शिक्षा देते हैं, जिससे उनके बच्चे अपने धर्म और परंपराओं के प्रति निष्ठावान रहते हैं। दूसरी ओर हिंदू अपने बच्चों को रामायण, गीता, श्रीमद्भागवत और अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन नहीं कराते।

कभी भी खड़े होकर भोजन नहीं करना चाहिए क्योंकि यह शास्त्रों और आयुर्वेद के अनुसार स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। बैठकर भोजन करने से शरीर स्थिर रहता है, पाचन तंत्र सही ढंग से कार्य करता है और भोजन के प्रति श्रद्धा बनी रहती है।

साधु-संत समाज को धर्म, संस्कृति और आध्यात्मिक ज्ञान से जोड़ने का कार्य करते हैं। उनकी सेवा करने से पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में सकारात्मकता आती है। संतों का सान्निध्य व्यक्ति को सत्य, धर्म और भक्ति की ओर प्रेरित करता है।

सनातन धर्म में गाय को माँ का स्थान दिया गया है और यह धार्मिक, सामाजिक और वैज्ञानिक रूप से अत्यंत उपयोगी मानी जाती है। शास्त्रों में भी कहा गया है कि गौसेवा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और आध्यात्मिक उन्नति होती है। इसलिए हर सनातनी को गौमाता की रक्षा और पालन का संकल्प लेना चाहिए।

यदि हिंदू समाज अपने बच्चों को धर्म और शास्त्रों की शिक्षा बचपन से देना प्रारंभ कर दे, तो आने वाली पीढ़ी अपने संस्कारों और संस्कृति को सहेज सकेगी।

महिलाओं को किसी भी धार्मिक कार्य, जैसे कि पूजा, विवाह, यज्ञ, या भोजन प्रसादी के दौरान अपने बाल खुले नहीं रखने चाहिए। यह शास्त्रों के अनुसार अशुभ माना जाता है। बाल खुले रखने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ सकता है और यह परंपरागत मान्यताओं के अनुसार अपशकुन की श्रेणी में आता है। इसीलिए धार्मिक कार्यों के दौरान महिलाओं को अपने बालों को उचित रूप से बांधकर रखना चाहिए, जिससे वातावरण में सकारात्मकता बनी रहे।

व्यक्ति को केवल कर्म करना चाहिए है, फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। यदि कोई व्यक्ति अच्छे कर्म करता है, तो उसे उसका अच्छा परिणाम मिलता है और यदि वह बुरे कर्म करता है, तो उसका परिणाम भी बुरा ही होता है। यही प्रकृति का नियम है। इसलिए हमें सदैव अच्छे कर्म करने चाहिए, जिससे हमारा जीवन सुखमय और सफल हो सके।

श्री मदभागवत कथा भव्य आयोजन
दिनांक- 19 से 25 मार्च 2025
कथा स्थल : गाँव – कोपरिया पोस्ट – कोपरिया, जिला – सहरसा, बिहार

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