#day7 देश में गौ हत्या बंद होनी चाहिए- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने बताया कि मनुष्य को अपने जीवन में तीन कार्य अवश्य करने चाहिए। सबसे पहला कार्य यह है कि हर दिन गाय को अपने हाथों से भोजन कराना चाहिए, क्योंकि गाय का सीधा संबंध हमारे धर्म, संस्कृति और पुण्य से जुड़ा है। दूसरा कार्य यह है कि कुत्ते को रोजाना एक रोटी अवश्य देनी चाहिए, क्योंकि वह भगवान भैरव का रूप माना जाता है और उसकी सेवा करने से जीवन में निडरता और सुरक्षा बनी रहती है। तीसरा कार्य है पक्षियों को दाना डालना और पानी पिलाना, क्योंकि पक्षियों की सेवा करने वाला व्यक्ति कभी दरिद्र नहीं होता, उसके जीवन में हमेशा समृद्धि, सुख और शांति बनी रहती है।
जिस देश में गौ हत्या होती है, वहां धर्म की स्थापना नहीं हो सकती। गौ माता हमारे धर्म और संस्कृति की आत्मा हैं। वे केवल एक पशु नहीं, बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि के पोषण का आधार हैं। वे हमारे वेदों, पुराणों, शास्त्रों और उपनिषदों में पूज्य मानी गई हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने भी उनका सदा पालन किया और स्वयं को गोपाल कहा।
मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए। हमारे देश में लाखों मंदिर हैं, जो केवल पूजा का स्थान ही नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति, समाज की सेवा, शिक्षा, संस्कार, भंडारे, गौशालाएं, वेद पाठशालाएं, और आध्यात्मिक जागरण के केंद्र रहे हैं। यदि मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कर दिया जाए, तो हर मंदिर अपने संसाधनों से समाज की सेवा कर सकता है, गरीबों को भोजन, विद्यार्थियों को शिक्षा, बीमारों को चिकित्सा, असहायों को सहारा, और समाज को सच्चे अर्थों में धर्म और संस्कृति का संरक्षण दे सकता है।
यदि हर सनातनी यह प्रण कर ले कि वह कम से कम एक गाय का पालन करेगा, तो इस देश में एक भी गाय आवारा नहीं रहेगी। और सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि गौ माता का सम्मान और रक्षा होगी।
मथुरा में कृष्ण भूमि का निर्माण होना केवल एक मंदिर बनाना नहीं होगा, बल्कि यह सम्पूर्ण सनातन संस्कृति की विजय और अस्मिता की स्थापना का कार्य होगा। जब-जब धर्म पर प्रहार हुआ है, तब-तब भगवान ने अवतार लिया है, और आज आवश्यकता है कि हम सभी सनातनी भी एक होकर मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि का गौरव लौटाएं।
भगवान हमेशा धर्म की रक्षा के लिए ही धरती पर अवतार लेते हैं, लेकिन आज का बड़ा दुर्भाग्य है कि हमने भगवान को भी जातियों में बांट दिया है। कोई कहता है राम जी क्षत्रिय थे, कोई कहता है कृष्ण जी यादव थे, कोई उन्हें अलग-अलग जातियों में बांटता है, जबकि सत्य तो यह है कि भगवान की कोई जाति नहीं होती, वे समस्त जीवों के स्वामी हैं और सभी जातियों के आराध्य हैं।
धर्म किसी की हत्या करना नहीं सिखाता, चाहे वह अजन्मा शिशु ही क्यों न हो। जो लोग भ्रूण हत्या करते हैं, वे घोर पाप के भागी बनते हैं। महाराज श्री ने उदाहरण देते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने ब्राह्मणों की रक्षा के लिए रण छोड़ दिया था, क्योंकि धर्म की रक्षा के लिए पीछे हटना भी कभी-कभी सबसे बड़ा पराक्रम होता है।
आज हमारे घरों में धर्म सुरक्षित नहीं है, इसलिए वहां कलह, कलेश, दरिद्रता, रोग और अशांति बढ़ती जा रही है। रावण और दुर्योधन ने धर्म का अपमान किया, धर्म को मारा, इसलिए उनका नाश हो गया। लेकिन पांडवों ने सदैव धर्म की रक्षा की, इसलिए वे पांच थे और पांच ही रह गए।
आज हालात इतने खराब हो गए हैं कि मात्र 100 गज जमीन के लिए भाई-भाई के खून का प्यासा बन रहा है। रिश्तों की वह मिठास, जिसमें कभी एक-दूसरे के लिए जान देने का भाव था, आज समाप्त होती जा रही है। लोग यह भूल गए हैं कि यह धन, संपत्ति और जमीन कुछ भी स्थायी नहीं है। आज के युग में भाई ही भाई का सबसे बड़ा शत्रु बनता जा रहा है।
श्रीमद भागवत कथा का भव्य आयोजन
दिनांक – 02 से 08 जुलाई 2025
कथा समय: दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक
कथा स्थल: सिद्ध पीठ वंशीवट महारास स्थल एवं नित्य गोचारण लीला स्थल श्री दामा जी मन्दिर, ग्राम छाहरी, मांट (मथुरा)
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