#day7 सत्य से बड़ा कोई धर्म नहीं है- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
सत्य ही धर्म है, परोपकार ही सबसे बड़ा पुण्य है। मानव जीवन का वास्तविक उद्देश्य यही है कि हम हमेशा दूसरों के किसी न किसी कार्य में सहायक बनें, उनके सुख-दुख में सहभागी बनें। यदि देश के नेता और अधिकारी धर्मात्मा होंगे, सत्यनिष्ठ और धार्मिक मूल्यों से प्रेरित होंगे, तो देश में कभी भी घोटाला, भ्रष्टाचार या अन्याय नहीं होगा। और हमारे देश को विश्व गुरु बनने से कोई नही रोक सकता हैं ।
उत्तराखंड सरकार ने सावन को ध्यान में रखते हुए “ऑपरेशन कालनेमी” प्रारंभ किया है। इसका उद्देश्य यह है कि जो लोग साधु-संत का रूप धारण कर भगवा वस्त्र पहनते हैं और लोगों से पैसे मांगते हैं, ऐसे ढोंगी लोगों पर कार्यवाही की जाए। क्योंकि इन जैसे पाखंडी लोगों के कारण ही असली संत समाज पर प्रश्नचिह्न लगने लगते हैं। ऐसे ढोंगियों के कारण ही जनता का विश्वास भी धीरे-धीरे धर्म और संतों से उठने लगता है।
जातिवाद और छोटे-छोटे भेदभाव हमारे समाज के लिए सबसे बड़ा अभिशाप हैं। सनातन धर्म हमें सिखाता है कि सभी प्राणियों में परमात्मा ही विराजमान हैं। इसलिए हमें इन तुच्छ भेदों से ऊपर उठकर सनातन धर्म की रक्षा करनी चाहिए। याद रखो, हम पहले सनातनी हैं, उसके बाद कोई जाति विशेष। यदि हम आपस में बंटे रहेंगे, तो हमारा धर्म भी सुरक्षित नहीं रह सकेगा।
मैकाले की शिक्षा नीति ने हमारी पूरी भारतीय शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करके रख दिया। जिस भारत की शिक्षा व्यवस्था वेद, उपनिषद, धर्मशास्त्र, आयुर्वेद, ज्योतिष, गणित, खगोल, युद्धनीति, नैतिकता और जीवन के सभी आयामों को समाहित करती थी, उसी भारत को मैकाले ने केवल नौकरी के लायक पढ़ाई में सीमित कर दिया।
दुर्भाग्य की बात है कि हिंदू परिवारों में आजकल बच्चे रामायण, गीता और भागवत जैसे महान ग्रंथों से दूर होते जा रहे हैं। यह हमारी सबसे बड़ी कमजोरी बन गई है। हमें समझना होगा कि जितना जरूरी विज्ञान और तकनीकी शिक्षा है, उतना ही जरूरी धर्म और संस्कृति का ज्ञान भी है।
हर माता-पिता का यह परम कर्तव्य है कि वे अपने बच्चों से दीपदान अवश्य करवाएं। दीपदान केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि यह बच्चे के मन में बचपन से ही श्रद्धा, विनम्रता, दानशीलता और पुण्य भाव को जागृत करता है।
आज महिलाओं के व्रत और पर्व भी केवल दिखावा बनकर रह गए हैं। उदाहरण के लिए, करवा चौथ का व्रत सावित्री जी की तरह संकल्प और अटूट प्रेम का प्रतीक है, जहां पत्नी अपने पति की लंबी आयु और सुख के लिए कठोर उपवास करती थी। अब करवा चौथ के दिन महिलाएं महंगी साड़ियां, आभूषण, मेकअप, फोटोशूट और स्टेटस की बातें करती हैं।
जब भी हमारे जीवन में कोई कठिनाई, रुकावट या विपरीत परिस्थिति आए, तो हमें घबराना नहीं चाहिए। भगवान शिव का जलाभिषेक करने से व्यक्ति के बिगड़े हुए कार्य भी बन जाते हैं, क्योंकि भोलेनाथ को जल अर्पण करने से उनके शीतल स्वभाव का आशीर्वाद हमें भी प्राप्त होता है।
21 लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण शिव महापुराण कथा
दिनांक -11 से 19 जुलाई 2025
समय: 3:30 बजे से
स्थान- ठा.श्री प्रियाकांत जू मंदिर, शान्ति सेवा धाम, वृंदावन