#day5 कथा सुनने मात्र से होता है भक्त का भगवान से मिलन- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
सावन में शिवलिंग पर दूध, जल, बेलपत्र, भस्म, धतूरा, आक आदि अर्पित करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं, सभी दुख-दर्द समाप्त होते हैं, रोगों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, शांति, समृद्धि का वास होता है।
मानव केवल एक लोटा जल भी अगर आप सच्चे मन और श्रद्धा से महादेव को अर्पित कर दें तो वह प्रसन्न हो जाते हैं। उनका आशीर्वाद जीवन की हर बाधा को समाप्त कर देता है और हर कार्य में सफलता प्रदान करता है।
आज के स्कूलों में भी सनातन संस्कृति पर आघात हो रहा है। कई शिक्षक बच्चों को कह रहे हैं कि भगवान नाम की कोई चीज नहीं होती। यह अत्यंत दुःखद है। हमें अपने बच्चों को ऐसे विद्यालयों में शिक्षा दिलवानी चाहिए जहां वे पढ़ाई के साथ-साथ सेवा, संस्कार, धर्म, सनातन संस्कृति और वेद-पुराणों का भी ज्ञान प्राप्त कर सकें ।
बॉलीवुड ने हमारे बच्चों के मन-मस्तिष्क को पूरी तरह से भटका दिया है। फिल्मों में ऐसे दृश्य और कहानियां परोसी जाती हैं जिनमें न तो कोई नैतिक शिक्षा होती है, न ही कोई आध्यात्मिक संदेश। बच्चे वही देखते हैं, और वही उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाता है। यही कारण है कि आज के बच्चे मोबाइल और टीवी के आभासी संसार में खोकर अपने जीवन के वास्तविक लक्ष्य, धर्म और कर्तव्य को भूलते जा रहे हैं।
आज लोग तीर्थों में सोशल मीडिया पर रील और फोटो पोस्ट करने के उद्देश्य से जाते हैं। वे भूल जाते हैं कि तीर्थ यात्रा मनोरंजन या ट्रैवल व्लॉग बनाने का स्थान नहीं, बल्कि आत्मचिंतन, प्रभु स्मरण और जीवन को सही दिशा देने का माध्यम है। हमें यह याद रखना चाहिए कि तीर्थ में जाने का उद्देश्य प्रसिद्धि पाना नहीं, बल्कि भगवान की कृपा पाना होना चाहिए।
जब तक हमारे पितर जीवित रहते हैं, तब तक हम उनके चरणों में रहकर उनका आदर करते हैं, उनसे मार्गदर्शन लेते हैं और हर सुख-दुख में उनकी जरूरत महसूस करते हैं। लेकिन जैसे ही वह इस संसार से विदा ले लेते हैं, हम उनकी छोड़ी हुई संपत्ति तो तुरंत बांट लेते हैं, पर उनके लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान, जप, दान जैसे कोई भी कर्म नहीं करते।
सच्चा पुत्र वही होता है जो अपने पिता को मृत्यु के बाद भी नरक में जाने से रोके। उसके लिए तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि करता रहे। पिता के लिए जीवन पर्यंत समर्पण ही पुत्र धर्म है।
21 लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण शिव महापुराण कथा
दिनांक -11 से 19 जुलाई 2025
समय: 3:30 बजे से
स्थान- ठा.श्री प्रियाकांत जू मंदिर, शान्ति सेवा धाम, वृंदावन