#DAY5- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, साथ ही बेटे को भी बचाओ! – पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकर जी महाराज
-
by
sonu
- No Comments on #DAY5- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, साथ ही बेटे को भी बचाओ! – पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकर जी महाराज
#DAY5- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, साथ ही बेटे को भी बचाओ! - पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकर जी महाराज
आज की कथा के दौरान पूज्य महारज श्री ने बताया कि हमारे सनातन धर्म और परंपराओं में शुद्धता का विशेष महत्व है, खासकर जब बात रसोई की हो। जहां अन्न को ईश्वर का प्रसाद मानकर बनाया जाता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि रसोई में प्रवेश करने से पहले हम पूर्ण रूप से शुद्ध हों। हमारी प्राचीन परंपरा के अनुसार, स्नान के बाद ही रसोई में प्रवेश करना शुभ माना जाता है।
हमारे शास्त्रों में गाय को माँ का दर्जा दिया गया है, क्योंकि वह हमें पोषण देने वाली, पालने वाली और संपूर्ण मानवता के लिए उपयोगी होती हैं। गौ माता की सेवा करना केवल पुण्य का कार्य नहीं, बल्कि हमारा कर्तव्य भी है। हमारे वेदों और पुराणों में कहा गया है कि गौ सेवा करने से समस्त देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। श्रीकृष्ण स्वयं गौ-सेवा का आदर्श प्रस्तुत करते हैं, जो हमें यह सिखाता है कि गौ माता की रक्षा करना और उनकी देखभाल करना कितना महत्वपूर्ण है।
सरकार ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा दिया, जो समाज में बेटियों की सुरक्षा और शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन आज के समय में हम एक और आग्रह करना चाहते हैं—बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, साथ ही बेटे को भी बचाओ!
हाल ही में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसमें एक पत्नी ने अपने पति को बेरहमी से टुकड़ों में काटकर मार डाला। इस अमानवीय कृत्य पर पूज्य महाराज श्री ने एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया—”इतनी निर्ममता कैसे आ सकती है?”
वर्तमान समय में शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना और नौकरी पाना बन गया है। लेकिन क्या यह शिक्षा हमारे बच्चों को संस्कार, नैतिकता और कर्तव्यबोध सिखा पा रही है? आधुनिक शिक्षा प्रणाली भौतिक उन्नति पर तो जोर देती है, लेकिन जीवन के वास्तविक मूल्यों से बच्चों को वंचित कर रही है। यही कारण है कि आज समाज में हिंसा, लोभ, असंवेदनशीलता और अनुशासनहीनता बढ़ रही है।
इसलिए, अब समय आ गया है कि गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को पुनः स्थापित किया जाए। गुरुकुलम केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि चरित्र निर्माण की प्रयोगशाला होता है, जहाँ विद्यार्थी केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि धर्म, मर्यादा और आत्म-संयम भी सीखते हैं।
श्रीमद् भागवत कथा भव्य आयोजन
दिनांक- 19 से 25 मार्च 2025
कथा स्थल : गाँव – कोपरिया पोस्ट – कोपरिया, जिला – सहरसा, बिहार