#day5 तन, मन और धन से अपने धर्म की रक्षा करनी चाहिए- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
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by
sonu
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#day5 तन, मन और धन से अपने धर्म की रक्षा करनी चाहिए- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने अहमदाबाद में हुए दुर्भाग्यपूर्ण विमान दुर्घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया। महाराज श्री ने एक मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्माओं की शांति और उनके परिजनों को इस कठिन समय में धैर्य प्रदान करने की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि आज के समय में जीवन का कोई भरोसा नहीं है, इसलिए हर क्षण को प्रभु स्मरण और धर्म की सेवा में लगाना चाहिए।
महाराज श्री ने मथुरा की दुखद घटना का कथा में उल्लेख किया, जिसमें एक विधर्मी ऑटो चालक ने 23 लड़कियों की जिंदगी बर्बाद कर दी। उन्होंने सीयम योगी से निवेदन किया कि मथुरा जैसे पवित्र तीर्थस्थल में जितने भी विधर्मी और चरित्रहीन लोग ऑटो चला रहे हैं, उन पर कठोर प्रतिबंध लगाए जाएं ताकि इस धरा की पवित्रता बनी रहे और कोई और बेटी इस प्रकार के पाप का शिकार न बने।
महाराज श्री ने श्रद्धालुओं से कहा कि आजकल भक्ति केवल दिखावे की रह गई है। हमें भक्त नरसी मेहता और मीराबाई जैसे निष्कलंक और सच्चे भक्तों से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिनकी भक्ति निस्वार्थ और परमात्मा को समर्पित थी।
निराशा व्यक्ति को भगवान से दूर कर देती है, जबकि सच्ची आशा और विश्वास ही भगवान से मिलन का मार्ग प्रशस्त करता है। जो लोग भगवान से मिलने की सच्ची आशा रखते हैं, भगवान उन्हें कभी निराश नहीं करते।
कभी भी स्त्री हत्या, गौ हत्या और ब्राह्मण हत्या जैसे पाप कर्म नहीं करने चाहिए। जिन घरों में स्त्री का सम्मान होता है, वहां देवताओं का वास होता है और उन घरों में सुख-शांति निवास करती है।
हमारे हाथों से कलावा, गले से कंठी गायब हो रही है, और हम सूर्य को जल भी अर्पित नहीं कर रहे। उन्होंने उदाहरण दिया कि मुस्लिम समाज अपने कुरान और मजहब के प्रति ईमानदार है, परंतु हम लोग अपने गीता, रामायण और धर्मग्रंथों को पढ़ना और पालन करना भूलते जा रहे हैं। यह कमी हमारे अंदर है, उनमें नहीं।
हमें तन, मन और धन से अपने धर्म की रक्षा करनी चाहिए। जैसा हमारे पूर्वजों ने धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान किया, हमें भी उसी आदर्श पर चलना चाहिए। धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करेगा, यही सनातन सत्य है। भगवान स्वयं धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं।
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जीवन हमें सिखाता है कि पुरुष को अपनी नज़र और आकर्षण केवल अपनी धर्मपत्नी पर ही केंद्रित रखना चाहिए। भगवान श्रीराम ने जब रावण की बहन शूर्पणखा को देखा, तो उन्होंने न तो उसकी साज-सज्जा पर ध्यान दिया और न ही उसके छलपूर्ण सौंदर्य से प्रभावित हुए। उनका प्रेम और आकर्षण केवल माता सीता के प्रति अटूट और निष्कलंक था।
इसी प्रकार, सच्चा भक्त वह है जो भगवान की सेवा में स्वयं तत्पर रहता है। भक्ति दिखावे या दिखाने के लिए नहीं होती और न ही सेवा दूसरों से करवाने के लिए होती है। भगवान की सेवा का सौभाग्य अपने हाथों से करना चाहिए।
श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन
दिनांक – 9 से 15 जून 2025
स्थान – श्री गंगोत्री धाम, उत्तराखंड
समय – प्रात: 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक