#day4 हर सनातनी को एक शिवरात्रि का व्रत जरूर करना चाहिए - पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

कथा में पूज्य श्री सुतीक्षण दास जी महाराज (श्री सुदामा कुटी, श्रीधाम वृंदावन) ने सम्मिलित होकर व्यास पीठ का आशीर्वाद प्राप्त कर प्रेरणादायक विचार कथा पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं के समक्ष प्रस्तुत किए । कथा में श्री मुकेश कुमार सिंह जी (फिल्म डायरेक्टर ) ने सम्मिलित होकर व्यास पीठ का आशीर्वाद प्राप्त किया एवं कथा श्रवण कर पुण्य लाभ अर्जित किया कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने बताया कि सावन मास में सोमवार का व्रत करने से व्यक्ति को मनचाहा फल प्राप्त होता है। यह मास विशेष रूप से भगवान शिव की उपासना के लिए अत्यंत पावन माना गया है। सावन में उपवास, पूजा और भक्ति से जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं और ईश्वर कृपा प्राप्त होती है। जिस मंदिर में भगवान शिव के साथ शिवलिंग की विधिपूर्वक पूजा होती है, उस मंदिर की पूजा पूर्ण मानी जाती है। शिवलिंग भगवान शिव का प्रतीक है, और उसकी पूजा से व्यक्ति को अद्भुत आत्मिक शक्ति और शांति प्राप्त होती है। सनातनियों को होटल जैसे स्थानों में विवाह करने से बचना चाहिए। विवाह एक पवित्र संस्कार है और इसे घर में या किसी धार्मिक स्थान जैसे कि श्री धाम वृंदावन में सम्पन्न करना चाहिए। वृंदावन में विवाह करने से आत्मा का सीधा संबंध भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ता है, जिससे दांपत्य जीवन में सुख, शांति और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। हमारे बुरे कर्म ही हमारे भाग्य का नाश करते हैं। आज के समय में पाँच में से शायद ही कोई व्यक्ति सत्कर्म करता है। अधिकांश लोग केवल भौतिक सुखों की लूटपाट में लगे रहते हैं और सेवा भाव का उनके जीवन में कोई स्थान नहीं होता। लेकिन वास्तव में, जीवन में हमारे कर्म और भगवान का नाम ही हमारे साथ चलते हैं। यही हमारे वास्तविक पूँजी हैं। सत्यनारायण भगवान की कथा जिन घरों में नियमित रूप से होती है, वहाँ का वातावरण शांत, पवित्र और ऊर्जावान बना रहता है। ऐसा घर जहां भक्ति, सत्य और सेवा भाव हो, वहाँ स्वाभाविक रूप से दरिद्रता या अभाव का प्रवेश नहीं होता। वहाँ समृद्धि, संतोष, स्वास्थ्य और आनंद सदैव निवास करते हैं। जो लोग एक स्थान पर जाकर दूसरे की बुराई करते हैं और फिर वहां से तीसरे की बुराई करते हैं, ऐसे लोग केवल अपने जीवन में नकारात्मकता फैलाते हैं। आजकल तो लोग छोटी-छोटी बातों पर भी झूठ बोल देते हैं। यहाँ तक कि कोर्ट में साक्षी भी अपनी गवाही बदल देते हैं, जो समाज में अन्याय और पतन का कारण बनता है। सदाचरण और सत्य बोलना मानव धर्म का मूल है। व्यक्ति को कभी भी अपने मुँह से अपना गुणगान नहीं करना चाहिए, और न ही किसी की निंदा करनी चाहिए। ऐसा करने से अहंकार बढ़ता है और पुण्य नष्ट होता है। 21 लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण शिव महापुराण कथा दिनांक -11 से 19 जुलाई 2025 समय: 3:30 बजे से स्थान- ठा.श्री प्रियाकांत जू मंदिर, शान्ति सेवा धाम, वृंदावन

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