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#day4 माँ गंगा को स्वच्छ बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

#day4 माँ गंगा को स्वच्छ बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

आज श्रीमद्भागवत कथा के पावन प्रसंग में श्रीकृष्ण जन्म महोत्सव को अत्यंत उल्लास एवं भक्ति-भाव से मनाया गया। जैसे ही नंदलाल के प्राकट्य की कथा का वाचन हुआ, संपूर्ण पंडाल “नंद के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की” के जयघोष से गूंज उठा। भक्तों ने झूमकर नृत्य किया, पुष्पवर्षा हुई, और माहौल रसमय हो उठा। साथ ही, हनुमान प्राकट्योत्सव एवं पूर्णिमा के पावन पर्व पर हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। 

यह दिव्य संगम – एक ओर श्रीकृष्ण की लीलाओं का उल्लास, और दूसरी ओर श्री हनुमान जी की आराधना – ने आज की कथा को अविस्मरणीय बना दिया।

आज की कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री बताया कि यदि हर नेता धार्मिक और नैतिक मूल्यों से युक्त हो, तो भारत निश्चय ही एक बार फिर विश्व गुरु बन सकता है। उन्होंने धर्म का अर्थ केवल पूजा-पाठ या रीति-रिवाजों तक सीमित न रखते हुए, इसे एक जीवन पद्धति बताया—जो सत्य, अहिंसा, सेवा, और न्याय पर आधारित हो।

हम भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का साधुवाद करते हैं जिनके आने के बाद सभी सनातनियों के मन में धर्म के प्रति बोलने साहस और सामर्थ उत्पन्न हुआ, उन्हौने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारतीयता और सनातन मूल्यों को गर्व से प्रस्तुत किया है। उनके कार्यकाल में अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, महाकाल लोक जैसे ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों का पुनरुत्थान और संरक्षण हुआ, जो भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक हैं।

हमें धर्म और देश के लिए संघर्ष करने वाले नेताओं के साथ खड़ा होना चाहिए। जो नेता रात के 2:00 बजे तक देश, धर्म, और संस्कृति की रक्षा के लिए लड़ते हैं, उनके लिए हमें भी 24 घंटे तत्पर रहना चाहिए। 

गंगा जी के जल में स्नान करने से जन्मों-जन्मों के पापों का क्षय होता है और व्यक्ति को मोक्ष की ओर मार्गदर्शन प्राप्त होता है।

आज कुछ लोग गंगा जी की पवित्रता को भंग कर रहे हैं। वे गंगा जल में पूजा सामग्री, प्लास्टिक, कूड़ा-कचरा और अन्य गंदगी डाल देते हैं, जिससे यह पावन नदी भी प्रदूषित होती जा रही है। कुछ लोग तो गंगा जी में बर्तन और कपड़े धोते हैं, जिससे न केवल जल अशुद्ध होता है, बल्कि यह धार्मिक अपमान भी है।

महाराज श्री ने श्रद्धालुओं से विनम्र अपील की कि गंगा को केवल नदी नहीं, माँ समझें। जिस प्रकार हम अपनी माता के पास गंदगी नहीं फेंकते, उसी प्रकार हमें गंगा माता का भी सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूजा सामग्री प्लास्टिक व कूड़े को गंगा से दूर रखें। गंगा की स्वच्छता हमारी जिम्मेदारी है, और यह कार्य भी एक प्रकार का पुण्य और राष्ट्रसेवा है।

हम स्वयं भी गंगा की रक्षा करेंगे और दूसरों को भी इसके प्रति जागरूक करेंगे, ताकि हमारी भावी पीढ़ियाँ भी इस दिव्य धारा से लाभान्वित हो सकें। गंगा केवल जल नहीं, संस्कृति, श्रद्धा और जीवन का प्रतीक है—इसे निर्मल और दिव्य बनाए रखना हम सबका धर्म है।

हमें तन, मन और धन से भगवान की भक्ति करनी चाहिए। जब हम भगवान की कथा सुनने बैठते हैं, तो वह समय केवल श्रवण का नहीं, आत्मा के उत्थान का होता है। कभी भी कथा को बीच में छोड़कर नहीं जाना चाहिए, क्योंकि वह क्षण स्वयं भगवान का आह्वान होता है।

यदि मन में शांति है, तो संसार में भी शांति है। संसार की सभी समस्याओं की जड़ हमारे भीतर की अशांति है। जब मन भगवान में स्थिर होता है, तब संसार की सभी चिंताएँ गौण हो जाती हैं।

जिसने 22 एकादशियों का व्रत श्रद्धा और नियमपूर्वक कर लिया, उसे यमराज भी छूने का सामर्थ्य नहीं रखते। एकादशी व्रत आत्मशुद्धि और मोक्ष का सीधा मार्ग है। इसलिए हर सनातनी को एकादशी व्रत अवश्य रखना चाहिए। यह केवल शरीर का उपवास नहीं, बल्कि आत्मा का उत्सव है।

पिज़्ज़ा, बर्गर, जैसे जंक फूड बच्चों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हैं। इससे न केवल शरीर में बीमारियाँ आती हैं, बल्कि मन भी चंचल और अस्थिर हो जाता है। उन्होंने माता-पिता से आग्रह किया कि अपने बच्चों को सादा, सात्विक भोजन दें, और उन्हें धर्म, व्रत, पूजा जैसे संस्कारों से जोड़ें। बच्चों में यदि बचपन से ही व्रत-नियम का भाव डाला जाए, तो वे जीवन भर सद्मार्ग पर चलेंगे।

श्रीमद भागवत कथा का भव्य आयोजन
दिनांक – 9 से 15 अप्रैल 2025
स्थान – आईटीआई मैदान, बक्सर, बिहार
समय – दोपहर 3:30 से

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