#day4 जीवन में कभी भी अंहकार नही करना चाहिए- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
-
by
sonu
- No Comments on #day4 जीवन में कभी भी अंहकार नही करना चाहिए- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
#day4 जीवन में कभी भी अंहकार नही करना चाहिए- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
आज की कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने बताया कि कथा भगवान से मिलाने का एक अत्यंत प्रभावशाली साधन है। जब हम रात में भगवान की कथा सुनकर सोते हैं, तो हमारे मन का शुद्धिकरण होता है, जिससे सपने भी शुभ और सकारात्मक आते हैं।
गाय माता को प्रतिदिन रोटी खिलानी चाहिए, क्योंकि गाय हमारी संस्कृति की आत्मा है और इसकी सेवा से पुण्य की प्राप्ति होती है। हमारे धर्म में पशु बलि का निषेध है। हिंसा से किसी प्रकार की ईश्वर भक्ति संभव नहीं है; भगवान करुणा और प्रेम में वास करते हैं।
कथा में कृष्ण जन्ममहोत्सव को अत्यंत धूमधाम से मनाया गया। सम्पूर्ण पंडाल भक्ति में डूबा हुआ नजर आया। सभी भक्त पीले-पीले वस्त्रों में सजे हुए थे और श्री कृष्ण के भजनों पर झूम रहे थे। संपूर्ण वातावरण कृष्णमय हो गया था, जिससे श्रद्धालुओं के मन में भक्ति और उल्लास का संचार हुआ।
रात में मोबाइल चलाकर सोना नहीं चाहिए। यह न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि मानसिक अशांति का भी कारण बनता है।
हर पति को अपनी पत्नी और माता का सम्मान करना चाहिए। जो व्यक्ति अपने परिवार का दायित्व नहीं निभा सकते, वे जीवन में कभी सच्चा सुख प्राप्त नहीं कर सकते। जो लोग अपने धर्म की रक्षा करते हैं, धर्म उनकी रक्षा करता है, लेकिन जो धर्म की रक्षा नहीं करते, धर्म भी उन्हें मरने के लिए छोड़ देता है।
हर सनातनी को माथे पर तिलक, हाथ में रुद्राक्ष या कड़ा और गले में तुलसी की कंठी अवश्य धारण करनी चाहिए। यह न केवल हमारी पहचान है, बल्कि आत्मिक उन्नति का प्रतीक भी है।
चोरी का धन कभी सुख नहीं देता। ऐसा धन अंततः विनाश और दुख का कारण बनता है। इसलिए हर व्यक्ति को अपने जीवन के अंत से पहले अच्छे कर्म करने चाहिए, ताकि मरने के बाद भी समाज उसे याद करे और उसका जीवन प्रेरणा बने।
सबसे बड़ा अहंकार व्यक्ति को अपने पद का होता है, इसलिए जो लोग ऊंचे पदों पर होते हैं, उन्हें घमंड नहीं करना चाहिए, बल्कि सेवा भाव से अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।
हर शिष्य को अपने गुरु की सेवा करनी चाहिए, क्योंकि गुरु ही वह द्वार है जिससे आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है। उन्होंने यह भी बताया कि गुरु दीक्षा जीवन में केवल एक ही बार लेनी चाहिए, क्योंकि यह दीक्षा हमारे पूरे जीवन की दिशा निर्धारित करती है।
श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन
दिनांक – 9 से 15 जून 2025
स्थान – श्री गंगोत्री धाम, उत्तराखंड
समय – प्रात: 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक