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#day2 माँ गंगा का करें संरक्षण – पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

#day2 माँ गंगा का करें संरक्षण - पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

आज की कथा में पूज्य महाराज श्री ने भक्तों को बताया कि गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि साक्षात देवी स्वरूप हैं। गंगा में स्नान करने से मनुष्य के समस्त पाप धुल जाते हैं। जो व्यक्ति गंगा में एक बार भी श्रद्धा से डुबकी लगाता है, उसकी कभी अधोगति नहीं होती। यह गंगा मां की करुणा और उनकी पावनता का प्रताप है। 

हर व्यक्ति को साल में कम से कम एक बार या छह महीने में एक बार गंगा स्नान अवश्य करना चाहिए। साथ ही यह भी बताया कि हमें गंगा जी में कभी वस्त्र नहीं धोना चाहिए, क्योंकि यह उनका अपमान है और इससे जल को दूषित किया जाता है।

महाराज श्री ने गंगा जी के धरती पर अवतरण की कथा का भी वर्णन किया, जिसमें बताया गया कि कैसे राजा भगीरथ ने कठोर तप करके गंगा मैया को पृथ्वी पर लाने की कृपा प्राप्त की। परंतु आज हम अपने निजी स्वार्थों के कारण गंगा को प्रदूषित कर रहे हैं। नालों और फैक्ट्रियों का गंदा पानी गंगा में मिलाया जा रहा है, जो कि अत्यंत निंदनीय है।

अनेक सरकारें आईं और गईं, लेकिन यमुना जी की स्थिति पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। आज वृंदावन में यमुना जी में पानी के स्थान पर नाला बह रहा है, जो हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना के पतन का प्रतीक है।

गाय केवल एक पशु नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और जीवन शैली की आधारशिला है। गाय का संरक्षण करना हमारा धर्म है। हर सनातनी को चाहिए कि वह हर महीने ₹101 गौ माता की सेवा के लिए और ₹100 धर्म की रक्षा के लिए निकाले। यह कोई बड़ा खर्च नहीं, लेकिन इसका पुण्य असीम होता है।

आज घर-घर में मां-बाप, बेटा-बेटी सब शराब का सेवन करते हैं और उसे अपनी “लाइफस्टाइल” बता रहे हैं। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। इसके विपरीत जिन घरों में बच्चे धर्म के पथ पर चलते हैं, हाथ में कलावा, गले में तुलसी की कंठी पहनते हैं, वे घर पवित्र हो जाते हैं और उन पर भगवान की विशेष कृपा होती है।

हमें अपने बच्चों को केवल अंग्रेजी या आधुनिक शिक्षा ही नहीं, बल्कि गीता, रामायण और विज्ञान का संतुलित ज्ञान देना चाहिए। ऐसा करने से हमारे बच्चे चरित्रवान, संस्कारी और वैज्ञानिक सोच वाले बनेंगे, जो देश और समाज को उन्नति की ओर ले जाएंगे।

आजादी के बाद भारत में हजारों मदरसे खुले, लेकिन गुरुकुल बहुत कम खुले। यह एक बड़ा कारण है कि हमारी युवा पीढ़ी अपनी जड़ों से कटती जा रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत में टीचर वही बनें जिन्हें गीता और रामायण का ज्ञान हो, तभी हमारे बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो सकता है।

सत्संग से बच्चों का चरित्र निर्माण होता है। जो बच्चे सत्संग करते हैं, वे जीवन में पथभ्रष्ट नहीं होते। इसलिए हर माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को धर्म, संस्कृति और अध्यात्म से जोड़ें।

श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन
दिनांक – 9 से 15 जून 2025
स्थान – श्री गंगोत्री धाम, उत्तराखंड
समय – प्रात: 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक

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