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#Day 7 होली मुबारक नहीं होली की शुभकामनाएं दो – पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

#Day 7 होली मुबारक नहीं होली की शुभकामनाएं दो - पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

आज की कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने बताया कि हमें अपने बच्चों को सनातनी संस्कारों में ढालना चाहिए, ताकि वे अपने धर्म को जान सकें और उसकी रक्षा कर सकें। सनातन धर्म केवल एक आस्था नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक प्रणाली है, जिसमें नैतिकता, मर्यादा और कर्तव्यबोध का विशेष महत्व है।

आज की आधुनिकता और पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव के कारण समाज में कई बुराइयाँ जन्म ले चुकी हैं। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज सनातनी परिवारों में शराब की बोतलें आसानी से मिल जाती हैं, लेकिन ठाकुर जी की माला और पूजा का स्थान नहीं दिखता।

जब कोई व्यक्ति मदिरा पान करता है, तो वह न केवल अपने स्वास्थ्य और आत्मसम्मान को नुकसान पहुँचाता है, बल्कि अपने बच्चों के नजरों में भी गिर जाता है। परिवार के संस्कार ही भविष्य की पीढ़ियों का आधार होते हैं, इसलिए यह आवश्यक है कि हम अपनी संतानों को शुद्ध विचारधारा और धार्मिक मूल्यों की शिक्षा दें।

आज के समय में नग्नता को फैशन का नाम दिया जा रहा है, जो हमारी संस्कृति और परंपराओं के विपरीत है। हमारी बेटियाँ छोटे-छोटे कपड़े पहनकर डिस्को और क्लबों में रातभर नृत्य करती हैं और इसे आधुनिकता समझा जाता है। लेकिन हमें समझना होगा कि असली आधुनिकता चरित्र, शिक्षा और संस्कारों में निहित होती है, न कि बाहरी दिखावे में।

हम अपने बच्चों को यह सिखाएँ कि फैशन का अर्थ मर्यादा और सभ्यता के साथ जीना है, न कि अपनी संस्कृति और संस्कारों को भुलाकर पश्चिमी आदतों को अपनाना। हमें अपनी संतानों को सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों की शिक्षा देनी चाहिए ताकि वे अपनी जड़ों से जुड़े रहें और अपने धर्म की रक्षा कर सकें।

धर्म की रक्षा करना प्रत्येक सनातनी का परम कर्तव्य है। हमारे शास्त्रों में चार प्रमुख वधों को निषिद्ध बताया गया है – महिला वध, ब्राह्मण वध, शिशु वध और गौ वध। इन सिद्धांतों का पालन करना प्रत्येक व्यक्ति का नैतिक और धार्मिक उत्तरदायित्व है।
यदि हम अपने धर्म की रक्षा करना चाहते हैं, तो हमें इसके लिए किसी भी प्रकार के त्याग और बलिदान के लिए तैयार रहना होगा। हमारे धर्मग्रंथों और इतिहास में अनेकों उदाहरण मिलते हैं, जहाँ धर्म की रक्षा के लिए महान आत्माओं ने अपने प्राणों की आहुति दी।

यदि सनातन बोर्ड का गठन हो गया तो तो इससे धार्मिक कार्यों का विस्तार और सुचारु रूप से संचालन संभव होगा। इस बोर्ड के माध्यम से विभिन्न धार्मिक और सामाजिक कार्यों को अंजाम दिया जा सकता है, जैसे – बेटियों के विवाह की व्यवस्था, गुरुकुलों की पुनर्स्थापना, धर्म के प्रति बच्चों को जागरूक बनाना, धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा देना और गौ सेवा का कार्य करना।

प्रत्येक व्यक्ति को सूर्योदय से पहले उठना चाहिए, स्नान करना चाहिए और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। ऐसा करने से मानसिक और शारीरिक ऊर्जा प्राप्त होती है, जिससे मनुष्य अपने कार्यों में सफलता प्राप्त करता है।

जो व्यक्ति सूर्योदय से पहले उठकर ईश्वर का स्मरण करता है, वह अपने जीवन में अवश्य सफल होता है। इसलिए, हमें अपने जीवन को अनुशासित और धार्मिक मार्गदर्शनों के अनुरूप बनाना चाहिए।

हमें भी अपने धर्म की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने का संकल्प लेना चाहिए। सनातन धर्म केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन का आधार है। यदि हम अपनी संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक मूल्यों की रक्षा नहीं करेंगे, तो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत आधार तैयार नहीं कर पाएंगे।

होली महोत्सव एवं श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन

दिनांक- 6 से 13 मार्च 2025

समय- दोपहर 2 बजे से

स्थान: ठा. श्रीप्रियाकान्त जू मन्दिर, शान्ति सेवा धाम, वृंदावन

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