#day3 मैं जीवन के अंतिम क्षण तक सनातन धर्म की रक्षा के लिए इसी तरह अडिग खड़ा रहूंगा- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री भक्तों को बताया कि “हम किसी भी धमकी से डरने वाले नहीं हैं। जब तक हमारे शरीर में प्राण हैं, हम सनातन धर्म की सेवा और रक्षा करते रहेंगे। हमारे खून का एक-एक कतरा सनातन के लिए समर्पित है। हमारे लिए धर्म ही सर्वोपरि है। अगर कोई सोचता है कि धमकी देकर हमें रोक लेगा तो यह उसकी भूल है। यह जीवन सिर्फ हमारा नहीं है, यह सनातन धर्म का दिया हुआ है। हम उसी के लिए जियेंगे।”

“हमारे द्वारा किया गया कोई भी कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाता। चाहे हम अच्छा करें या बुरा, उसका फल हमें मिलता ही है। इसलिए मनुष्य को अपने हर विचार, हर शब्द और हर कर्म को पवित्र और धर्म के अनुसार बनाना चाहिए। अगर जीवन भर हम धर्म के मार्ग पर चलेंगे, तो निश्चित ही धर्म हमारी रक्षा करेगा। जो व्यक्ति धर्म की रक्षा करता है, उसकी रक्षा स्वयं भगवान करते हैं।”

“मुस्लिम समाज के 99% बच्चे कुरान के बारे में जानते हैं लेकिन हमारे हिंदू बच्चे भागवत गीता, रामायण और अपने धर्म के ग्रंथों के बारे में नहीं जानते। इसका कारण यह है कि हम उन्हें सत्संग में नहीं ले जाते, उन्हें धर्म का ज्ञान नहीं कराते।

अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे संस्कारी बनें, जीवन में सच्चाई और ईमानदारी का मार्ग अपनाएं, तो हमें उन्हें धर्म की शिक्षा देनी होगी। माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को सत्संग, कथा और मंदिरों में अवश्य लेकर जाएं ताकि उनका मन धर्म में लगे।”

“अभी हमारे देश में आईपीएल हुआ। उसमें dream11 जैसे ऐप्स के माध्यम से युवाओं को जुआ खेलने के लिए प्रेरित किया जाता है। याद रखो, जिस घर में जुआ खेला जाता है वहां पर कलियुग का वास होता है। वहां शांति, बरकत और सुख कभी नहीं रह सकते। जुआ, शराब, बेईमानी – ये सब पाप के मार्ग हैं।”

“जब राजा परीक्षित को ज्ञात हुआ कि सातवें दिन तक्षक नाग उन्हें डस लेगा और मृत्यु निश्चित है, तो उन्होंने घर-परिवार, राज्य और सबकुछ त्याग दिया और संतों की शरण में जाकर भागवत श्रवण आरंभ कर दिया। उन्होंने समझ लिया कि जीवन का अंतिम लक्ष्य केवल भगवान का भजन है।

“आजकल लोग कथा वाचकों पर सवाल उठाते हैं। कहते हैं कि ये कथा के लिए मोटी फीस लेते हैं। लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि कथा वाचक अकेले नहीं आते। उनके साथ पूरी टीम होती है, जिन्हें भोजन, आवास, आने-जाने का खर्च, सब देना पड़ता है। उनका भी परिवार होता है, घर होता है। जिस प्रकार स्कूल का टीचर पढ़ाता है और उसे वेतन मिलता है, उसी प्रकार कथा वाचक भी अपनी विद्या से समाज को ज्ञान देते हैं और उनकी आजीविका भी इसी से चलती है। यह कोई व्यवसाय नहीं, यह सेवा का माध्यम है। 

बचपन में जो भक्ति की जाती है, उसका फल पूरे जीवन भर मिलता है। यह शरीर भगवान का है, जीवन भगवान का दिया हुआ है, तो इसका उपयोग भी भगवान की भक्ति, धर्म और सेवा में होना चाहिए। यही जीवन का सत्य और यही जीवन का परम लक्ष्य है।”

श्रीमद भागवत कथा का भव्य आयोजन
दिनांक – 02 से 08 जुलाई 2025
कथा समय: दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक
कथा स्थल: सिद्ध पीठ वंशीवट महारास स्थल एवं नित्य गोचारण लीला स्थल श्री दामा जी मन्दिर, ग्राम छाहरी, मांट (मथुरा)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *