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⇒ वृंदावन

सन् 2006 में श्रद्धेय श्री देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज ने विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट का गठन करते हुये श्रीरामकृष्ण कथाओं के माध्यम से सम्पूर्ण विश्व में शांति स्थापना का प्रण लिया था । अपनी सरस एवं हृदयों को जोड़ने वाले मधुर वाणी में श्रीमद्भागवत एवं श्री रामकथा के शांति सेदेष जन-जन तक पहॅंचाते हुये पूज्य महाराज श्री ने कुछ ही समय में लाखों धर्मप्रेमियों को भक्तिपथ का अनुगामी बना लिया । श्रीधाम वृन्दावन के संतचरणों की कृपा से उनके हद्य से प्रस्फुट होते प्रकाषपुंज में श्रोताओं को बरबस अपनी ओर खींचने की शक्ति विद्यमान थी । 

बाल्यकाल में गुरूजनों के सानिध्य से रासलीला में श्रीकृष्ण स्वरूप को जीवंत करने वाले देवकीनंदन महाराज को श्रद्धालु भक्तों से ‘ठाकुरजी’ की उपाधि पहले ही मिल चुकी थी । तेजस्वी भाषा शैली तो कभी मधुर ब्रजभाषा में वे भागवत के गूढ रहस्यों को आम जीवन के प्रसंगों से जोड़कर सरल व्याख्या प्रस्तुत करते तो भाव-विभोर हजारों भक्तों के समूह से केवल राधे-राधे की आवाज ही सुनाई देती । देश के कौने-कौने में सनातन कथाओं के शांति संदेष प्रसारित करते हुये ठाकुरजी महाराज ने युवाओं का एक एैसा वर्ग तेयार कर लिया था जो सनातन धर्म, संस्कार और संस्कृति की बाते बड़े वचाव से सुनने को कथा में सबसे आगे बैठा नजर आता । कथाओं में वे जब श्रीधाम वृन्दावन की पावन भूमि की महिमा गाते तो श्रोताओं की भारी भीड़ बरबस ही वृन्दावन चलने को मचल उठती । 

भगवद्निष्ठ श्रोताओं के प्रेम और अनुग्रह ने देवकीनंदन महाराज के हदृय में तीन लोक के स्वामी श्री राधाकृष्ण युगलसरकार के लिये श्रीधाम वृन्दावन में भव्य मंदिर निर्माण का स्वप्न जागृत कर दिया। सर्वेष्वर श्रीराधाजी की कृपा से यही स्वप्न 8 फरवरी 2016 को ‘श्रीप्रियाकान्तजू मंदिर’ के रूप में फलीभूत हुआ । इसके लिये पूज्य महाराज श्री एवं कन्हैया के लाखों प्रेमी भक्तों ने एक दषक तक भक्ति भावों के दीप जलाये रखे । जैसे-जैसे समय गुजरता गया महाराज श्री का यह सपना लाखों कृष्ण भक्तों की आखों का सपना बनता गया । इस दिव्य स्वप्न को साकार करने के लिये विष्व शान्ति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट ने कई चरणों में कार्य किये ।