जितना संस्कारी मानव अन पढ़ा मिलेगा आपको पढ़ा लिखा बच्चा उतना संस्कारी नहीं मिलेगा...
श्रीमद भागवत कथा के श्रवण मात्र से मानव जीवन का कल्याण है संभव- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज
विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में पूज्य श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी महाराज के पावन सानिध्य में 20 से 26 जनवरी 2023 तक औरंगाबाद, महाराष्ट्र में श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है।
श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस पर महाराज श्री ने भागवत कथा के महात्यम का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया। कथा के प्रथम दिवस पर भक्तों ने महाराज जी के श्रीमुख से कथा का श्रवण किया।
भागवत कथा के प्रथम दिवस की शुरुआत दीप प्रज्जवलन, भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थान के साथ की गई।
पूज्य श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी महाराज ने कथा पंडाल में बैठे सभी भक्तों को भजन "विठ्ठल माझा माझा मी विठ्ठलाचा "श्रवण कराया”।
पूज्य श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी महाराज ने कथा की शुरूआत करते हुए कहा कि सभी भक्त भगवान के परम प्रिय देखिये हम सब का सौभाग्य है माघ मास में श्रीमद भागवत कथा और वो भी भागवत महापुराण श्रीधाम वृन्दावन से पधारी। जहाँ भगवान का प्राकट्य हुआ।
महाराज श्री ने कहा की औरंगाबाद, महाराष्ट्र में हमारे भक्तों ने बहुत सुन्दर आयोजित कराया है। सुबह की आपकी शोभा यात्रा बहुत अद्भुत थी और क्यों न हो ये महाराष्ट्र संतों की भूमि है, वीरों की भूमि है, सच्चे देश भक्तों की भूमि है। यहाँ पर देश के लिए कुर्बान होने वाले योद्धाओं की कभी कमी नहीं रही।
यहाँ पर भगवान के चरणों में समर्पित रहने वाले भक्तों की संतों की कभी कमी नहीं रही। महाराष्ट्र में आकर तो भक्ति जवान हो गई थी महाराज जी ने कहा की मेरा एक ही निवेदन है कथा प्रारम्भ करें उससे पहले आप सब भाग्यशाली है जो पहले पल से यहाँ बैठे है हमने तो बोलने से पहले ही महाराष्ट्र की पहचान अपने सर में रखली।
महाराज श्री कथा क्रम बढ़ाते हुए कहा कि सात दिन आप अगर कथा मन से सुने वो नियम के साथ जो हम कहे रहे है आपके जीवन में जो अभी तक बदलाव नहीं आया वो बदलाव आ जायेगा।
आपने संसार में जितनी भी क्लासेस ली है जिन - जिन क्लास में जिन - जिन स्कूल में जिन - जिन कॉलेज में जिन - जिन युनिवर्सिटी में आप गए है वहां आप पैसे देकर आएं और पैसे देकर आप जो आये है सिर्फ इतना सीखा है की रोटी कैसे कमानी चाहिए पैसा कैसे कामना चाहिए इसके आलावा कुछ नहीं सीखा। जो माँ बाप ने सिखाया था वहां जाकर वो गवा और आये।
आज भी मैं दाबे के साथ कहे सकता हूँ जितना संस्कारी मानव अन पढ़ा मिलेगा आपको पढ़ा लिखा बच्चा उतना संस्कारी नहीं मिलेगा। जो चीजे आपकी कॉलेज युनिवर्सिटी में नहीं मिली समाज में नहीं मिली परिवार ने भी नहीं दी अगर आप सात दिन मात्र 3 घंटे अपने जीवन के देंगे तो भागवत आपको सिखाएंगी की जीवन तो आप जी रहे हो पर जीवन जीना कैसे चाहिए उसका सही तरीका क्या है तो वो तरीका सिखाएंगी श्रीमद भागवत।
जिस तरीके से आसुरी शक्तियाँ हमारे सनातन पर आक्रमण कर रही है कठीन परिस्थिति में हमें हमारे बच्चो को बचाएं रखना बहुत ज्यादा जरुरी है बच्चे कैसे बचेंगे बच्चे न पैसे से बचते है न पावर से बचते है बच्चे पद से बचते है अगर हमारी आने वाली जनरेशन बचेगी तो मात्र संस्कारों से बचेगी।
पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा कि एक बार सनकादिक ऋषि और सूद जी महाराज विराजमान थे तो उन्होंने ये प्रश्न किया की कलयुग के लोगों का कल्याण कैसे होगा ? आप देखिये किसी भी पुराण में किसी और युग के लोगो की चिंता नहीं की पर कलयुग के लोगों के कल्याण की चिंता हर पुराण और वेद में की गई कारण क्या है ? क्योकि कलयुग का प्राणी अपने कल्याण के मार्ग को भूल कर केवल अपने मन की ही करता है जो उसके मन को भाये वह बस वही कार्य करता है और फिर कलयुग के मानव की आयु कम है और शास्त्र ज्यादा है तो फिर एक कल्याण का मार्ग बताया भागवत कथा। श्रीमद भागवत कथा सुनने मात्र से ही जीव का कल्याण हो जाता है महाराज श्री ने कहा कि व्यास जी ने जब इस भगवत प्राप्ति का ग्रंथ लिखा, तब भागवत नाम दिया गया। बाद में इसे श्रीमद् भागवत नाम दिया गया। इस श्रीमद् शब्द के पीछे एक बड़ा मर्म छुपा हुआ है श्री यानी जब धन का अहंकार हो जाए तो भागवत सुन लो, अहंकार दूर हो जाएगा।
व्यक्ति इस संसार से केवल अपना कर्म लेकर जाता है। इसलिए अच्छे कर्म करो। भाग्य, भक्ति, वैराग्य और मुक्ति पाने के लिए भगवत की कथा सुनो। केवल सुनो ही नहीं बल्कि भागवत की मानों भी। सच्चा हिन्दू वही है जो कृष्ण की सुने और उसको माने , गीता की सुनो और उसकी मानों भी , माँ - बाप, गुरु की सुनो तो उनकी मानो भी तो आपके कर्म श्रेष्ठ होंगे और जब कर्म श्रेष्ठ होंगे तो आप को संसार की कोई भी वस्तु कभी दुखी नहीं कर पायेगी। और जब आप को संसार की किसी बात का फर्क पड़ना बंद हो जायेगा तो निश्चित ही आप वैराग्य की और अग्रसर हो जायेगे और तब ईश्वर को पाना सरल हो जायेगा।
श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर कपिल देवहूती संवाद, सती चरित्र, ध्रुव चरित्र का वृतांत सुनाया जाएगा।
।। राधे-राधे बोलना पड़ेगा ।।