#day4 देश में सनातन विरोधियों का करें बहिष्कार- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

आज की कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने बताया कि”अधर्म को सहना भी अधर्म है, और अन्याय को सहना ही सबसे बड़ा अन्याय है।” यह बात हमें एक गहरी सीख देती है कि अगर हम चुपचाप अत्याचार और अन्याय को सहते रहें, तो हम खुद भी उस अन्याय के भागीदार बन जाते हैं। एक समय ऐसा आएगा जब हमारी यही चुप्पी हमें अपनी ही धरती से मिटा देगी।

पहलगाम में हुई आतंकी घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना केवल एक हमला नहीं, बल्कि मानवता पर एक क्रूर आघात है। जब समाज में इस तरह की हिंसक और अमानवीय सोच घर कर जाती है, तो वह पूरे समुदाय और राष्ट्र के लिए खतरा बन जाती है। ऐसे में हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह न केवल आवाज उठाए, बल्कि आवश्यक कदम भी उठाए।

पाकिस्तान और आतंकवादियों का आर्थिक बहिष्कार करें। सनातनी दो वर्षों तक कश्मीर की यात्रा न करें। पर्यटन कश्मीर की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा है, और जब हम वहां जाकर पैसे खर्च करते हैं, तो अप्रत्यक्ष रूप से कुछ हिस्सा उन लोगों तक भी पहुंचता है जो आतंकवाद को समर्थन देते हैं। अगर पूरे देश से लाखों-करोड़ों श्रद्धालु और पर्यटक केवल दो वर्षों तक कश्मीर न जाएं, तो इससे आतंकियों की आर्थिक कमर टूट सकती है।

सभी सनातनी एकजुट होकर धर्म, मानवता और राष्ट्र की रक्षा के लिए खड़े हों। आतंकवाद और उसका समर्थन करने वाले तत्वों को यह साफ संदेश मिलना चाहिए कि भारतवासी न तो डरते हैं, न झुकते हैं, और न ही अन्याय को चुपचाप सहन करते हैं।

जिस घर में संतों का आगमन होता है, वहां लक्ष्मी का वास स्वाभाविक होता है। संत शांति, ज्ञान और पुण्य के प्रतीक होते हैं, और उनका चरण-स्पर्श ही उस स्थान को पवित्र बना देता है। लेकिन दुर्भाग्य से आज की भौतिकतावादी दुनिया में लोग धन को केवल भोग-विलास का साधन मान बैठे हैं।

आज अनेक धनवान लोग अपने धन का प्रयोग धर्म, दान और सेवा में नहीं करते, बल्कि जुआ खेलने, शराब पीने, पार्टियों में खर्च करने और फिल्मी कलाकारों पर धन लुटाने में लगे रहते हैं। यह केवल धन की बर्बादी नहीं है, बल्कि धर्म और संस्कारों से दूरी का प्रतीक है।

जूते-चप्पल लेकर रसोई में जाना अशुद्धता का संकेत है और इससे न केवल शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक पवित्रता भी प्रभावित होती है। जैसे मंदिर में शुद्धता आवश्यक है, वैसे ही रसोई में भी वह भाव होना चाहिए।

जब किसी व्यक्ति का सड़क पर एक्सीडेंट होता है, तो लोग मदद करने की बजाय उसका वीडियो बनाना शुरू कर देते हैं। यह एक बेहद दुखद और चिंताजनक स्थिति है। एक घायल व्यक्ति को समय पर अस्पताल पहुंचाने से उसकी जान बच सकती है। मैं सभी सनातन धर्म के अनुयायियों से आग्रह करता हूं कि जब भी आपके सामने ऐसा कोई दृश्य आए, तो तुरंत उस व्यक्ति की मदद करें। यही सच्चा धर्म है, यही सच्ची पूजा है।

पैसा, भौतिक वस्तुएं, पद और प्रतिष्ठा सब यहीं रह जाती हैं। जब हम इस दुनिया से विदा होते हैं, तो हमारे साथ केवल हमारे कर्म और हमारे यश की गूंज जाती है। सबसे बड़ा धन ‘यश’ है—अगर लोग आपके जाने के बाद कहें कि “वह बहुत अच्छा इंसान था”, तो समझिए आपका जीवन सार्थक हो गया। इसलिए जीते जी ऐसे कर्म करें, जिससे मरने के बाद भी आपका नाम श्रद्धा से लिया जाए।

श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन

दिनांक: 21 से 27 अप्रैल, 2025

कथा समय: शाम 4 बजे से 7 बजे तक

कथा स्थल: सिद्ध श्री देवी मंदिर, पानीपत, हरियाणा

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