#day1 होली जैसे पवित्र त्यौहार पर नशे का सेवन करने से न केवल हमारी सांस्कृतिक मूल्यों का अपमान होता है, बल्कि समाज में कई प्रकार की बुराइयों को भी जन्म देता है- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

कथा में हनुमान गढ़ी के महंत पूज्य श्री राजू दास जी महाराज, पूज्य श्री सत्यमित्रानंद जी महाराज (वृन्दावन) शामिल होकर व्यासपीठ का आशीर्वाद प्राप्त किया एवं कथा पंडाल में उपस्थित भक्तों को संबोधित किया।

आज की कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा को मन से सुनना चाहिए, न कि केवल समय बिताने के उद्देश्य से कथा में जाना चाहिए। भागवत कथा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान मात्र नहीं है, बल्कि यह आत्मा के उद्धार का मार्ग है।

त्योहार का असली आनंद तभी है जब इसे सच्चे हृदय से, अपनी संस्कृति और मूल्यों को ध्यान में रखते हुए मनाया जाए, न कि नशे में धुत होकर अपने परिवार और समाज को संकट में डालकर।

हम उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से विनम्र निवेदन करते हैं कि हमारे ब्रज मंडल को मांस और शराब मुक्त किया जाए। धार्मिक स्थानों पर मांस और शराब जैसी अपवित्र चीजों की बिक्री होना हमारे धर्म और संस्कृति का अपमान है।

जब कोई श्रद्धालु सच्चे मन से इस कथा को सुनता है और भगवान की लीलाओं एवं उपदेशों को अपने जीवन में धारण करता है, तो उसे न केवल मानसिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि आध्यात्मिक उत्थान भी होता है।

जब कोई मनुष्य निष्कपट भाव से, भक्ति और प्रेमपूर्वक कथा को सुनता और उसका मनन करता है, तो उसके जीवन के समस्त दुखों का नाश होता है और वह ईश्वर की कृपा का पात्र बनता है।

सभी तीर्थ स्थलों पर भी यह नियम लागू किया जाना चाहिए कि वहां मांस और शराब की बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित हो। ऐसे स्थानों पर मांस और शराब का सेवन हमारी धार्मिक परंपराओं के विरुद्ध है और सामाजिक मूल्यों को कमजोर करता है।

भगवान में ऐसी अद्भुत शक्ति है कि वे अपने भक्तों को वह सब कुछ देने में सक्षम हैं, जिसकी वे सच्चे मन से अभिलाषा रखते हैं। किंतु भगवान भौतिक सुख-संपत्ति से अधिक भक्त को आध्यात्मिक आनंद प्रदान करना चाहते हैं, जो परम सुखदायक होता है। जब कोई मनुष्य पूर्ण श्रद्धा और प्रेम के साथ भगवान की भक्ति करता है, तो वह स्वयं ही जीवन के समस्त कष्टों से मुक्त हो जाता है ।

यदि संतान स्वभाव से दुष्ट या अयोग्य है, तो चाहे माता-पिता उसे कितनी भी अच्छी शिक्षा, संस्कार, और परवरिश दें, वह अंततः अपने स्वभाव के अनुसार ही आचरण करेगा और परिवार के लिए संकट का कारण बन सकता है।

होली का त्योहार हमारी संस्कृति, प्रेम, भाईचारे और आपसी सौहार्द्र का प्रतीक है। बहुत से लोग इस अवसर पर शराब और भांग का सेवन करके इसे नशे का त्योहार बना देते हैं, जिससे परिवार और समाज में अशांति फैलती है।

आज लोग अपनी अच्छाइयों को दुनिया के सामने दिखाने में संकोच करते हैं और अपनी बुराइयों को छुपाने की कोशिश करते हैं। यह प्रवृत्ति समाज को गलत दिशा में ले जा रही है। हमें चाहिए कि हम अपनी संस्कृति और मूल्यों का सम्मान करें और अपने त्योहारों को उनकी वास्तविक भावना और परंपराओं के साथ मनाएं ।

श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन

दिनांक- 6 से 12 मार्च 2025

समय- दोपहर 2 बजे से

स्थान: ठा. श्रीप्रियाकान्त जू मन्दिर, शान्ति सेवा धाम, वृंदावन

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