कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने अनाथ आश्रम में रह रहे बुजुर्गों को कंबल वितरण कर उनके साथ आत्मीय संवाद किया। महाराज श्री ने उनके सुख-दुःख को सुना, उन्हें धैर्य, भक्ति और ईश्वर पर विश्वास बनाए रखने का संदेश दिया।

कथा में स्नेहलता भदौरिया जी ने पधारकर व्यासपीठ का आशीर्वाद प्राप्त किया और कथा पंडाल में उपस्थित भक्तों को सुन्दर भजन श्रवण कराया।

कथा में किशोरी जी ने पधारकर व्यासपीठ का आशीर्वाद प्राप्त किया और कथा पंडाल में उपस्थित भक्तों को अपने प्रेरणादायी विचारों से संबोधित किया।

आजकल के समय में लोग भक्ति को भी “ट्रेंडिग” का हिस्सा बना बैठे हैं। लोग इस बात पर ध्यान देने लगे हैं कि कौन सा गुरु या कौन सी भक्ति सोशल मीडिया पर अधिक प्रसिद्ध है और उसी की पूजा करने लगते हैं। भक्ति और गुरु की साधना कोई प्रतियोगिता नहीं होती। सच्चा गुरु वह है जो तुम्हें भगवान की ओर ले जाए, और सच्चा भक्त वह है जो बिना दिखावे और स्वार्थ के अपने गुरु के मार्ग पर चले।

कथा में श्री कृष्ण और रुक्मणि का विवाह बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। जब श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह से जुड़े भजनों की प्रस्तुति हुई, तो श्रद्धालु अपने आप को रोक नहीं पाए और भक्ति भाव में झूम उठे। भक्तगण भक्ति रस में डूबकर झूम उठे, तालियों की गूंज और “राधे-श्याम” के जयकारों से पूरा वातावरण गूंज उठा। ऐसा लग रहा था मानो साक्षात भगवान श्रीकृष्ण स्वयं उस स्थल पर उपस्थित होकर अपने भक्तों के साथ आनंद मना रहे हों।

गौमाता में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास माना जाता है। गोपाष्टमी के दिन गौमाता की पूजा करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

हर सनातनी को एकादशी का व्रत अवश्य रखना चाहिए। यह व्रत न केवल शरीर को शुद्ध करता है, बल्कि मन और आत्मा को भी निर्मल बनाता है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, और जो भक्त इस दिन उपवास, नामस्मरण एवं भजन-कीर्तन करता है, उस पर श्रीहरि की विशेष कृपा होती है।

जब हम अपने जीवन में किसी भी प्रकार के संकट या कठिन परिस्थिति में फँस जाते हैं, तब हमें सबसे पहले अपने बुजुर्गों की सलाह और मार्गदर्शन अवश्य लेना चाहिए। हमारे माता-पिता, दादा-दादी या अन्य बड़े-बुजुर्गों ने जीवन में अनेक अनुभव प्राप्त किए होते हैं, जिनसे वे सही और गलत का भेद भलीभांति जानते हैं।

आजकल के बच्चे ही नहीं, बल्कि बुज़ुर्ग भी देर तक सोने की आदत में पड़ गए हैं। लेकिन जो व्यक्ति सूर्योदय के बाद तक सोता रहता है, वह अपने जीवन की ऊर्जा और भाग्य दोनों को मंद कर देता है। सूर्योदय के समय उठकर प्रभु का स्मरण करना, सूर्यदेव को प्रणाम करना और दिन की शुरुआत भक्ति से करना यही एक ऐसा साधन है जो जीवन को सार्थक बनाता है और हमारे भाग्य को उदय करता है।

जितना हम अपने पेट और संसार के लिए परिश्रम करते हैं, वह सब एक दिन यहीं छूट जाने वाला है। चाहे हमारे पास कितना भी बड़ा मकान हो, कितनी भी महंगी गाड़ी हो, अथवा कितनी भी धन-संपत्ति और जमीन-जायदाद क्यों न हो — अंत में यह सब यहीं रह जाएगा।

हमें भगवान को अपना मानकर, अपने मन को उनके चरणों में लगाकर उनकी पूजा-पाठ करनी चाहिए। ऐसा करने से जीवन का उद्धार होता है, आत्मा को शांति मिलती है, और ईश्वर कृपा से जीवन में सच्चा सुख प्राप्त होता है।

श्रीमद्भभागवत कथा का भव्य आयोजन

दिनांक: 24 से 30 अक्टूबर 2025

समय: दोपहर 2:30 बजे से शाम 6 बजे तक

स्थान – मोतीझील ग्राउंड कानपुर, उत्तरप्रदेश

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