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आपके सबसे बड़े भगवान आपके माता-पिता हैं – पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी

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विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में दिनांक 17 से 25 मई 2023 तक श्री राम मैदान, वटवा, अहमदाबाद, गुजरात में पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के मुखारबिंद से शिव महापुराण कथा और 11 लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण का आयोजन किया जा रहा है।

शिव महापुराण कथा के तृतीय दिवस पर महाराज श्री ने शिव महापुराण कथा का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया। कथा के तृतीय दिवस पर भक्तों ने महाराज जी के श्रीमुख से कथा का श्रवण किया।

पूज्य श्री देवकीनन्दन ठाकुर जी महाराज ने कथा पंडाल में बैठे सभी भक्तों को शिव स्त्रोत का श्रवण कराया।

आज कथा में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे पूज्य श्री शंकराचार्य जी महाराज ने व्यास पीठ से आशीर्वाद प्राप्त किया।जिसके पश्यात पूज्य महाराज श्री ने पादुका पूजन किया। कथा में अन्य मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर भारत विकास परिषद श्री श्याम सिंह ठाकुर जी, पूर्व गृहमंत्री (गुजरात) श्री प्रदीप सिंह जडेजा जी, संसाद श्री हंसमुख भाई पटेल जी, पार्षद श्री धीरेन्द्र सिंह तोमर जी, पार्षद श्री सुशिल राजपूत जी, पार्षद श्री सुनीता बेन जी, विधायक श्री बाबू सिंह जादव जी ने पूज्य महाराज श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।

पूज्य श्री शंकराचार्य जी महाराज ने भक्तों को आशीर्वचन देते हुए कहा – मनुष्य को इसी जन्म में समझना चाहिए कि इस संसार का निर्माण कैसे हुआ है, उस परमात्मा ने किस उद्देश्य से इस संसार का निर्माण किया है। जिसने इस संसार का निर्माण किया है हमें उसी को तो जानना है। जो वस्तु हमें आँखों से दिखाई दे रही है, वो तो साक्षात है लेकिन इसका निर्माण किसने किया है।

हम सनातनियों को हमारे धर्म ग्रंथों का ज्ञान होना चाहिए। हम शिवलिंग को पुरुषवाचक अंग की संज्ञा देते है लेकिन ये सत्य नहीं है। हमारे धर्म ग्रंथों में दो ही ऐसे देव हैं जिन्हें सगुण और निर्गुण दोनों रूपों में पूजा जाता है। एक शिव लिंग और दूसरे शालिग्राम। संस्कृत में लिंग का अर्थ होता है चिन्ह अर्थात शिव का चिन्ह।

हमें कभी भी अपने माता-पिता की और पैर नहीं करने चाहिए, आपके माता-पिता को कभी आपके तलवे नहीं दिखने चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो ये पाप है अपराध है। पहले का अनपढ़ बच्चा भी जनता था की मुझे अपने माता-पिता की और ओर पैर करके या उनके सिरहाने नहीं बैठना है। लेकिन आज कल के बच्चे अपने माता-पिता के साथ बैठते हैं। ये पाप है।

गले में टाई बांधने से कोई संस्कारी नहीं होता, क्या धोती बांधने वाला संस्कारी नहीं हो सकता, पढ़ा-लिखा नहीं हो सकता है। सही मायने में आपके कपड़े नहीं बताते कि आप कितने संस्कारी हैं बल्कि जब आप बोलते हैं आपकी वाणी बताती है की आप कितने संस्कारी हैं।

आपके सबसे बड़े भगवान आपके माता-पिता हैं।

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